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पद्मनाभ स्वामी मंदिर में मरम्मत और टैंको की सफाई के आदेश

कोर्ट ने ये आदेश पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रशासन को लेकर लंबित विवाद की सुनवाई के दौरान दिये।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 09:43 PM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 09:59 PM (IST)
पद्मनाभ स्वामी मंदिर में मरम्मत और टैंको की सफाई के आदेश
पद्मनाभ स्वामी मंदिर में मरम्मत और टैंको की सफाई के आदेश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के सबसे धनवान भगवान केरल के पद्मनाभ स्वामी के गर्भगृह की मरम्मत होगी और जिस पवित्र जलाशय में स्नान करने के बाद पुजारी पद्मनाभ स्वामी की पूजा करते हैं उन जलाशयों की सफाई होगी। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को इसके आदेश दिये हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने केरल के जल विभाग से ये भी कहा है कि वो सुनिश्चित करे कि सीवर, नाले और मलबा मंदिर अथवा मंदिर से जुड़े जलाशयों में नहीं जाना चाहिए।

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कोर्ट ने ये आदेश पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रशासन को लेकर लंबित विवाद की सुनवाई के दौरान दिये। सोमवार को मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि मुख्य मामले पर कोर्ट भले ही बाद में सुनवाई करे लेकिन मंदिर के गर्भ गृह की छत की मरम्मत, और मूर्तियों के संरक्षण का काम बहुत जरूरी है और उसे तत्काल करने का आदेश दिया जाए। इसके साथ ही मंदिर के उन दो जलाशयों को तत्काल साफ करने का आदेश दिया जाए जिसमें स्नान करने के बाद मुख्य पुजारी बिना किसी को स्पर्श किये भगवान पद्मनाभ की पूजा अर्चना करते हैं। गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि दोनों जलाशय बेहद गंदे हैं और वर्षो से उनकी सफाई नहीं हुई है। इन जलाशयों में सीवर और नाले भी मिलते हैं।

उन्होंने कहाकि किसी भी मंदिर की पवित्रता के लिए साफ सफाई सबसे अहम होती है। कम से कम जिस जलाशय के जल से मुख्य पुजारी स्नान करते हैं वो साफ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों से इनकी सफाई का मुद्दा चल रहा है पैसे भी खर्च हुए लेकिन जलाशय ज्यों के त्यों गंदे हैं। उनकी बात का मंदिर के प्रशासन की कानूनी लड़ाई लड़ रहे राजवंशी मार्तड वर्मा के वकील ने भी समर्थन किया। सभी पक्षों के सहमत होने पर कोर्ट ने केरल के जल विभाग को आदेश दिया कि वो सुनिश्चित करे कि मंदिर में और उससे जुड़े जलाशयों में किसी भी तरह का सीवर, नाले या निर्माण मलबा न जाए।

कोर्ट ने कहा कि जल विभाग सीवर नाले रोकने के लिए लाइन बिछाने का निर्माण कार्य मानसून से पहले 15 मई तक पूरा कर ले। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोर्ट द्वारा गठित प्रशासनिक समिति को निर्देश दिया कि वह गर्भग्रह की छत व मूर्तियों के संरक्षण के लिए और जलाशयों की सफाई के लिए टेंडर आमंत्रित करे। टेंडर इस काम में अनुभव रखने वाले लोगों के ही आमंत्रित किये जाएं। कोर्ट इस मामले में 18 अप्रैल को फिर सुनवाई करेगा।


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