देश में विकल्प की राजनीति की जरूरत : कन्हैया
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया में गाय दूध और गोबर देती है। भारत में यह वोट भी देती है। इसे वोट देने का माध्यम बनाया जाता है। यह गोमाता का अपमान है।
जागरण संवाददाता, रांची। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया में गाय दूध और गोबर देती है। भारत में यह वोट भी देती है। इसे वोट देने का माध्यम बनाया जाता है। यह गोमाता का अपमान है।
उन्होंने कहा कि विज्ञान के दौर में अंधविश्वास नहीं चलेगा। गाय और खाने पीने को लेकर अब राजनीति नहीं चलेगी। किसी की जय बोलने से देश नहीं चलता है। देश चलता है स्थितियों को बदलने से। इसलिए अब मुल्क में विकल्प की राजनीति की जरूरत है। साथ ही देश में भुखमरी की लड़ाई लडऩी है। रोजी-रोटी का अधिकार कोई छीन नहीं सकता है। सिर्फ भाषणबाजी से काम नहीं चलेगा। मन की बात से ज्यादा सबकी बात सुनी जानी चाहिए। वे रविवार को गोस्सनर मिडिल स्कूल मैदान में आयोजित रोजी-रोटी अधिकार अभियान के तहत युवाओं के सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश को रोजी-रोटी के हक के लिए बदलना है। बुलेट ट्रेन से पहले जवानों को बुलेट जैकेट दिया जाए। आज किसान, फैक्ट्री में काम करनेवाले मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं, वे भी शहीद हैं। भारत आदिवासी-पिछडों-दलितों से बना है। मौके पर नदीम खान, सबीना, श्यामा सहित कई छात्र मौजूद थे।
नफरत के माहौल में पिस रहे आम लोग
जम्मू-कश्मीर की छात्रा हफ्जा सईद ने कहा कि कश्मीर में नफरत के माहौल में वहां के आम लोग पिस रहे हैं। 70 दिनों से कश्मीर में इंटरनेट तक पर पाबंदी है। बाहर के पढऩे वाले छात्रों की घर वालों से बात नहीं हो रही है।
दंगे का असर सबसे ज्यादा युवतियों पर
यूपी की सबीना ने कहा कि जब दंगे होते हैं, तो सबसे ज्यादा प्रभाव लड़कियों पर होता है। गुजरात से आए भंवर ने कहा कि इस देश में पशु को इतना पवित्र बना दिया गया है कि मानव की कीमत ही समाप्त हो गई है।
नॉर्थ ईस्ट वालों से आज भी होता है भेदभाव
नागालैंड से आए छात्र संगरीबो पमया ने कहा कि आज भी नॉर्थ ईस्ट से बाहर पढऩे जानेवाले छात्र-छात्राओं से भेदभाव व असमानता का व्यवहार किया जाता है। शिक्षित वर्ग भी उन्हें चिंकी-पिंकी और नेपाली कहकर हेय दृष्टि से संबोधित करते हैं, जबकि हम भी भारत के ही नागरिक हैं।
बाहर के लोगों को स्थापित करने का प्रयास
झारखंड की दीपा मिंज ने कहा कि जमीन की बात से जुड़ी है भोजन की बात। झारखंड में बाहर से आए लोगों को यहां के मूल निवासियों का हक छीनने के लिए स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।