भारत ने बनाई चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति, कहा नहीं हटेंगे पीछे
भारत की कूटनीतिक कोशिशों के बीच चीन की सरकार नियंत्रित मीडिया की भारत के खिलाफ बयानबाजी लगातार जारी हैं।
नई दिल्ली। डोकलाम इलाके में भारत और चीन सीमा पर तनाव अपने चरम पर है। चीन की तमाम धमकियों के बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि वह न तो अपनी सेना को वहां से पीछे हटने को कहेगा और न ही चीन को इस इलाके में सड़क बनाने देगा।
भूटान का पड़ोसी देश चीन अगर उसे धमकाने का प्रयास करता है तो भारत की तरफ से सख्त कदम उठाए जाएंगे। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत चीन को रोकने के लिए राजनीतिक या सैन्य तरीके से वाजिब प्रतिरोध की नीति अपनाएगा। इसके साथ ही राजनीतिक या कूटनीतिक स्तर पर भारत-चीन का डोकलाम क्षेत्र में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के चल रहे टकराव को दूर करने की कोशिशें जारी रहेगी।
इस समग्र रणनीति के तहत भारत ने सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राइजंक्शन पर सैन्य मौजूदगी तेजी से मजबूत कर ली है। इसके साथ ही समुद्र से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र में अतिरिक्त सेना की तैनाती की जा रही है। ये सैनिक हर आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
भारत की कूटनीतिक कोशिशों के बीच चीन की सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया की भारत के खिलाफ बयानबाजी लगातार जारी हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को कहा कि सीमा पर हालिया विवाद के लिए भारत जिम्मेदार है और उन्होंने भारतीय सैनिकों से डोकलाम खाली करने को कहा। वांग ने कहा, सही और गलत क्या है, यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है और यहां तक कि वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने खुले तौर पर कहा है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं किया। इस तरह भारत ने स्वीकार कर लिया है कि वह चीनी क्षेत्र में घुसा।
उन्होंने एक बयान में कहा, इसका समाधान बेहद आसान है। भारत को ईमानदारी पूर्वक अपने सैनिकों को वापस बुला लेना चाहिए। उधर, भारत ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि दोनों पक्षों को डोकलाम से सेना हटाकर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्र ने कहा, 'चीन को पूर्ववत स्थिति बनाए रखना चाहिए। उसने डोकलाम इलाके में सड़क बनाने की कोशिश करके इस स्थिति को बदलने की कोशिश की है। जिसे जून के मध्य में भारतीय सैनिकों द्वारा अवरुद्ध किया गया।'
भारत चाहता है कि चीन 2012 के उस समझौते का पालन करें जिसके तहत दोनों देशों के दो खास प्रतिनिधि भूटान के साथ बातचीत करके ट्राइजंक्शन सीमा के विवाद को हल करने की कोशिश करेंगे। सूत्र ने बताया, 'भारत भूटान की मदद के लिए तब आगे आया, जब चीनी सैन्य टुकड़ी भूटान (डोकलाम) में प्रवेश किया। चीनी सेना ने बंदूकों के दम पर भूटानी सैनिकों को पीछे धकेल दिया।'
डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन के 300 से 400 सैनिक आमने-सामने डटे हुए हैं। ये सैनिक एक दूसरे को गैर-आक्रामक तरीके से लाल झंडे दिखाने में लगे हुए हैं। एक सूत्र ने बताया, 'हमारी सैन्य टुकड़ियां इस क्षेत्र में ज्यादा बेहतर पोजिशन में तैनात हैं। चीनी सेना के मुकाबले उन्हें बेहतर सैन्य सप्लाई उपलब्ध है।' हालांकि, भारतीय एजेंसियां इस इलाके में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तरह मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है।
बता दें कि भारत के सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की चीन यात्रा से मौजूदा विवाद के सुलझने की उम्मीद जताई है। डोभाल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के एनएसए की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 27-28 जुलाई को चीन में रहेंगे।
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