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कैप्टन कालिया की लड़ाई लड़ेगी सरकार, पिता को इंसाफ की आस

कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की हिरासत में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मामले को मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय अदालत ले जा सकती है। सरकार ने अपने पहले के रुख में परिवर्तन करते हुए संकेत दिया है कि वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ले जाने

By Sachin kEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2015 12:15 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2015 08:31 AM (IST)
कैप्टन कालिया की लड़ाई लड़ेगी सरकार, पिता को इंसाफ की आस

नई दिल्ली। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की हिरासत में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मामले को मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय अदालत ले जा सकती है। सरकार ने अपने पहले के रुख में परिवर्तन करते हुए संकेत दिया है कि वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ले जाने की संभावनाएं तलाशेगी।

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सोमवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उदयपुर में यह जानकारी दी। सुषमा ने कहा कि सरकार कैप्टन कालिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर हलफनामा दायर करेगी। इसके बाद से कालिया के परिजनों ने सकारात्मक उम्मीद जताई है। कालिया के पिता का कहना है कि अब इंसाफ की आस जगी है।

गौरतलब है कि इससे पहले संसद में नियमों का हवाला देते हुए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने यह मामला अंतराष्ट्रीय अदालत में ले जाने से इंकार कर दिया था। हालांकि, बढ़ते दबाव के बीच सुषमा ने सरकार का पक्ष रखते हुए इस पर आगे बढ़ने की घोषणा की। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 25 अगस्त तक हलफनामा दायर कर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।

संप्रग का यह रुख था
इससे पहले संप्रग सरकार ने भी कहा था कि इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाना संभव नहीं है। सुषमा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की अब तक की सरकारों का रुख रहा है कि आपसी युद्ध के मामलों को हम अंतरराष्ट्रीय अदालतों में नहीं लेकर जाते। भारत और पाकिस्तान दोनों राष्ट्रमंडल देश हैं। इस वजह से भी हम अंतरराष्ट्रीय अदालत नहीं जा सकते।

इसलिए बदला रुख

विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने इस मत पर पुनर्विचार किया है। हमने सोचा कि सौरभ कालिया को जिस तरह की यातनाएं दी गई थीं, क्या इस तरह के अपवाद मामलों में भी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जाया जा सकता? और अंत में सरकार ने यह फैसला लिया कि हम इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कोर्ट जो फैसला करेगा, हम उसके आधार पर आगे बढ़ेंगे।

अगर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि अपवाद परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय अदालत जाया जा सकता है, तो हम कैप्टन कालिया का मामला लेकर वहां जाएंगे।
-सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री

आज विदेश मंत्री ने कहा है कि हम अंतरराष्ट्रीय अदालत जा सकते हैं। यदि सरकार की इच्छा वास्तव में कुछ करने की है, तो उन्हें करके दिखाना चाहिए।
-विजया, कैप्टन कालिया की मां

कारगिल का पहला हीरो
-कैप्टन कालिया (1976-1999) कारगिल में मई 1999 में नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा के भीतर पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ के संबंध में रिपोर्ट करने वाले पहले सैन्य अधिकारी थे। उनको कारगिल का पहला हीरो भी कहा जाता है।
-कारगिल सेक्टर में 4 जाट रेजीमेंट में उनकी पहली पोस्टिंग थी। 15 मई, 1999 को वह अपने दल के पांच जवानों अर्जुन राम, भंवर लाल बघेरिया, बीकाराम, मूलाराम और नरेश सिंह के साथ काकसर क्षेत्र में गश्त पर थे।
-इसी दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ गोलीबारी में उनका गोला-बारूद खत्म हो गया। इससे पहले कि भारतीय सैनिक उन तक पहुंच पाते पाक रेंजरों ने उनको घेरकर युद्ध बंदी बना लिया।
22 दिनों तक उनको भयानक यातनाएं देने के बाद गोली मार दी गई। नौ जून को पाकिस्तानी सेना ने सभी जवानों के क्षत-विक्षत शव भारत को सौंपे। उनकी आंखें निकाल ली गईं और गले काट दिए गए थे।
-सौरभ लेफ्टिनेंट से कैप्टन बनने के बाद अपना पहला वेतन भी नहीं ले पाए थे। आखिरी चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि मैं दुश्मन को हराकर और अपना वेतन लेकर घर आऊंगा। तब हम पार्टी करेंगे।


जेनेवा संधि का उल्लंघन
15 जून, 1999 को भारत ने पाकिस्तान को कारगिल युद्ध के दौरान युद्ध बंदियों के साथ जेनेवा संधि का हनन संबंधी नोटिस दिया।1949 में इस अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत युद्धबंदियों के साथ मानवतापूर्ण व्यवहार की व्यवस्था की गई थी।

पढ़ेंंः मोदी ने तोड़ दी शहीद के पिता की आस


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