मात्र एक कश्मीरी पंडित परिवार घाटी में लौटा
नई दिल्ली। वर्ष 2008 में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए समग्र पैकेज के जारी होने बाद से अब तक मात्र एक कश्मीरी परिवार वापस घाटी में लौटा है। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने बुधवार को राज्यसभा में दी।
नई दिल्ली। वर्ष 2008 में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए समग्र पैकेज के जारी होने बाद से अब तक मात्र एक कश्मीरी परिवार वापस घाटी में लौटा है। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने बुधवार को राज्यसभा में दी।
उन्होंने कहा कि सरकार इस पैकेज के कारगर न साबित होने के कारणों की जांच करने और इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करेगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 में इसके लिए 1618.40 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। यह राशि विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों को मकान बनाने, टूटे मकानों की मरम्मत करने तथा रोजगार हासिल करने पर खर्च की जानी है। इसमें एक मकान के लिए 7.5 लाख की राशि दी जाती है। राज्य सरकार द्वारा 1474 नौकरियां अस्थायी कैंपों रहने वाले विस्थापित कश्मीरी पंडितों के युवाओं को दी गई। इसमें घाटी के कुलगाम में 505, हरवाल में 130 पुलवामा और दक्षिण कश्मीर के युवाओं को, बारामुला में 250 और शेष 125 कुपवारा तथा अन्य स्थानों पर पैकेज के तहत थी। वर्तमान में 60452 विस्थापित कश्मीरी परिवार दर्ज किए गए। इस पुनर्वास कार्यक्रम के मार्ग की बाधाओं को दूर करने के लिए समय-समय पर इसकी समीक्षा की जा रही है और होती रहेगी।
दिल्ली और देश के दूसरे राज्यों में रह रहे विस्थापितों को प्रतिव्यक्ति 1650 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं। वर्ष 2008 में घोषित प्रधानमंत्री राहत योजना के तहत कश्मीर पंडितों के पुनर्वास के लिए 5242 दो कमरे के मकान निर्मित कराए गए थे जिनमें से 200 बडगाम में बनाए गए थे। इसमें से कुल मात्र 31 ही आवंटित हो पाए हैं।