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ऑनलाइन दवा बिक्री को मिल सकती है मंजूरी

भारत के औषधि महानियंत्रक की ओर से इस पर विचार करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने इसकी इजाजत देने की सिफारिश कर दी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 11:51 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 01:02 AM (IST)
ऑनलाइन दवा बिक्री को मिल सकती है मंजूरी

मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली । भारत में दवा की ऑनलाइन बिक्री को लेकर पहली बार कानूनन इजाजत मिलने वाली है। भारत के औषधि महानियंत्रक की ओर से इस पर विचार करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने इसकी इजाजत देने की सिफारिश कर दी है। हालांकि एंटीबायोटिक और आदत डालने वाली दवाओं सहित बहुत सी दवाओं को इससे बाहर रखा जाएगा।

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अभी कई ई-कॉमर्स साइट बाकायदा विज्ञापन देकर दवा बेच रही हैं। लेकिन केंद्रीय कानून के मुताबिक इसकी इजाजत नहीं है। कुछ राज्यों में इनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई भी होती है। शीर्ष सूत्रों ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) की ओर से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर विचार करने के लिए पिछले साल जुलाई में गठित की गई समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। अपनी विस्तृत रिपोर्ट में समिति ने कुछ शर्तो के साथ इसे इजाजत देने को कहा है।

ऑनलाइन फार्मेसी सेल के विरोध में बंद रही दवा दुकानें

महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) कमिश्नर डॉ. हर्षदीप कांबले की अध्यक्षता में गठित इस विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में ओटीसी या डाक्टर के परामर्श और बिना परामर्श वाली दवाइयों की बिक्री ऑनलाइन करने की अनुमति देने को कहा है। हालांकि समिति ने डाक्टरी परामर्श वाली कुछ दवाइयां (शिड्यूल एच-1 और शिड्यूल-एक्स) की दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को इजाजत न देने की सिफारिश की है। सूत्र कहते हैं कि दवा का दुरुपयोग रोकने के मकसद से यह सावधानी बरती गयी है। इसलिए ऐसी किसी दवा को इसमें शामिल नहीं किया गया है जिससे मरीज को आदत बनती हो। इसी तरह गंभीर साइड इफेक्ट वाली दवाएं भी इससे बाहर हैं।

पिछले साल जुलाई में हुई सीडीएससीओ की औषधि सलाहकार समिति की 48वीं बैठक में इस उप समिति के गठन का फैसला हुआ था। लंबे विचार-विमर्श और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मशविरे के बाद समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट अगले हफ्ते सौंपी जा सकती है। इस दौरान पिछले साल 30 दिसंबर को सीडीएससीओ ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर खासतौर पर कहा था कि वे ऑनलाइन दवा कारोबारियों पर नजर रखें। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) जीएन सिंह इस रिपोर्ट के तथ्यों के बारे में तो कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर देते हैं। मगर कहते हैं कि हमारा मकसद है कि मरीज को दवा चाहे जिस तरह मिले, लेकिन वह पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी हो तथा उसकी गुणवत्ता से कोई समझौता न हो।

पिछले दो साल के दौरान दवा की ऑनलाइन बिक्री बहुत तेजी से लोकप्रिय हुई है। लेकिन इसके खिलाफ पिछले साल अक्तूबर में खुदरा दवा विक्रेताओं के संगठन ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ कैमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स ने देश भर में हड़ताल की थी।

ई-फार्मेसी के खतरे

शीर्ष दवा विशेषज्ञ और 'मंथली इंडेक्स ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज' के संपादक सीएम गुलाटी दवा की ऑनलाइन बिक्री को बेहद गलत बताते हुए कहते हैं कि इसमें डॉक्टर की पर्ची की सत्यता की परखने का कोई जरिया नहीं है। साथ ही एक व्यक्ति कई जगह से दवा खरीद सकता है, जिससे उसके दुरुपयोग की आशंका होगी। इसी तरह ग्राहक को पता नहीं है कि उस तक दवा पहुंचाने में उन सावधानियों का ध्यान रखा गया है या नहीं, जिनके बिना दवा अपना असर पूरी तरह खो सकती है। यानी मुमकिन है कि दवा ऑरिजनल होने के बावजूद पूरी तरह निष्प्रभावी हो।

क्या हैं दवाओं के शिड्यूल

मौजूदा नियमों के मुताबिक शिड्यूल एच, एच-1 और एक्स को बिना डॉक्टरी पर्ची के नहीं बेचा जा सकता। शिड्यूल-एच के तहत आने वाली दवा पर बाईं ओर सबसे ऊपर आरएक्स लिखना होता है। साथ ही इस पर यह भी छापना होगा- 'शिड्यूल एच चेतावनी : खुदरा में सिर्फ पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर के प्रिस्किप्शन पर ही बेचे जाने के लिए।' शेड्यूल एक्स की दवा बेचने वाले को दवा का प्रिस्किप्शन भी दो साल तक रखना होता है। एच-1 श्रेणी के तहत एंटीबायोटिक और टीबी की दवाओं को रखा गया है। इसे भी बिना डॉक्टर के पर्चे के बेचा नहीं जा सकता। साथ ही इस पर लाल रंग के बॉक्स में चेतावनी छपी होती है।

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