राहुल के एक और ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एक और ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगता दिख रहा है। हिन्दुस्तान पेपर मिल की स्थापना अब होगी भी या नहीं कहना मुश्किल हो गया है। इसका दो साल में काम पूरा होना था, लेकिन दस माह से अधिक का समय यूं ही बीत चुका है।
अमेठी (जागरण संवाददाता)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एक और ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगता दिख रहा है। हिन्दुस्तान पेपर मिल की स्थापना अब होगी भी या नहीं कहना मुश्किल हो गया है। इसका दो साल में काम पूरा होना था, लेकिन दस माह से अधिक का समय यूं ही बीत चुका है।
अमेठी के जगदीशपुर में लगने वाली पेपर मिल को मंजूरी 12 फरवरी 2014 को संप्रग सरकार ने दी थी। परियोजना के लिए 3650 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित हुआ था। इससे चार साल पहले इस परियोजना के लिए 3241 करोड़ की लागत तय की गई थी। हिंदुस्तान पेपर मिल की स्थापना का खाका राहुल गांधी के पहली बार सांसद बनने के बाद ही तैयार किया गया था। 2007 के 26 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 2742 करोड़ की लागत से उप्र पेपर मिल प्रोजेक्ट की स्थापना करने के भारी उद्योग विभाग के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। दावे के मुताबिक यह मिल हरित क्षेत्र से जुड़ी अत्याधुनिक पेपर मिल होने के साथ ही हिन्दुस्तान पेपर की सहायक कंपनी होगी। इतना ही नहीं मई 2008 में ही उप्र पेपर प्रोजेक्ट के रूप में जगदीशपुर पेपर मिल को पंजीकृत किया गया। अक्टूबर 2013 में यूपीएसआइडीसी ने पेपर मिल की इकाई के रूप में मेसर्स जगदीशपुर पेपर लिमिटेड के नाम 187.59 एकड़ भूमि आवंटित कर दी थी। भूमि आवंटन के बाद बजट का इंतजार था। बजट पास होने के बाद केंद्र से संप्रग का सफाया हो गया। दो साल में पूरी होने वाली परियोजना पर दस माह बीत जाने के बाद भी काम तक नहीं शुरू हो पाया है। अमेठी के हाथ से पिछले छह माह में मेगा पार्क व डिस्कवरी पार्क जैसी बड़ी परियोजनाएं निकल चुकी है। डीएम जगतराज ने बताया कि फरवरी में पेपर मिल्स की स्थापना के लिए बजट जारी होने की बात सामने आई थी। तब से तो कुछ नया नहीं हुआ और न ही परियोजना को लेकर कोई जानकारी मिली। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र ने कहा कि मोदी सरकार अमेठी को लेकर द्वेष भावना से काम कर रही है। पेपर मिल की स्थापना के लिए संप्रग सरकार में बजट आवंटित हो चुका है। जमीन भी है। इसके बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो रहा।