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नए फॉर्मूले से बेचे जाएंगे तेल व गैस फील्ड

मोदी सरकार ने देश में तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने के लिए एक बेहद अहम कदम उठाया है। इसके तहत बुधवार को कैबिनेट की बैठक मे सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के 69 तेल फील्डों को निजी हाथों में बेचने का फैसला किया गया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 02:46 AM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 02:51 AM (IST)
नए फॉर्मूले से बेचे जाएंगे तेल व गैस फील्ड

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने देश में तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने के लिए एक बेहद अहम कदम उठाया है। इसके तहत बुधवार को कैबिनेट की बैठक मे सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के 69 तेल फील्डों को निजी हाथों में बेचने का फैसला किया गया।

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इसके साथ ही, इन फील्डों से निकाले जाने वाले तेल या गैस की कीमत तय करने का मौजूदा तरीका भी बदल दिया गया है। इन फील्डों को खरीदने वाली कंपनियों को अपनी मर्जी से तेल मूल्य तय करने या उसके खरीदार को लेकर फैसला करने का अधिकार दे दिया गया है।


पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस फैसले के बारे में बतायाकि अभी तक उत्पादन साझेदारी फॉर्मूले और लागत वसूली मॉडल के आधार पर केंद्र सरकार को देश के तेल व गैस फील्डों से राजस्व मिलता था। लेकिन इसको लेकर काफी विवाद हो गया था। सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। इस पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी कड़ी टिप्पणी की थी।

सरकार की तरफ से गठित दो समितियों ने इसे सही नहीं माना था। मगर पिछली सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया था। अब हमने इसे पूरी तरह से बदलने का फैसला किया है। अब रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल या फील्डों से तेल व गैस की जितनी मात्रा निकाली जाएगी, उससे होने वाले कमाई से ही सरकार को हिस्सा मिलेगा। नया फॉर्मूला पूरी तरह से पारदर्शी होगा। यह सरकार की हिस्सेदारी की भी रक्षा करेगा। कच्चे तेल की कीमत कम रहे या ज्यादा हर स्थिति में सरकार के हित सुरक्षित रहेंगे।


इस फॉर्मूले को सबसे पहले सरकारी तेल व गैस उत्पादक कंपनियों- ओएनजीसी और ऑयल इंडिया (ओआइएल) के पास वर्षों से पड़े ब्लॉकों की नीलामी में किया जाएगा। दोनों के पास 69 तेल व गैस ब्लॉक बेकार पड़े हैं। इनमें ओएनजीसी के 63 और ओआइएल के छह ब्लाक हैं। जाहिर है कि इनकी नीलामी निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच की जाएगी। इनमें से अधिकांश ब्लॉकों का आकार काफी छोटा है। दशकों पहले इन्हें लेने के बावजूद उक्त तेल कंपनियों ने इनका दोहन नहीं किया था।


प्रधान का कहना है कि अभी ओएनजीसी व ओआइएल के फील्डों के लिए यह फॉर्मूला लागू किया जा रहा है। लेकिन जल्द ही नई अन्वेषण व लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) के तहत दिए जाने वाले तेल व गैस फील्डों के लिए भी यह फॉर्मूला लागू किया जाएगा।

सरकार नेल्प के दसवें दौर के तहत तरकीबन 50 फील्डों को देशी व विदेशी कंपनियों के बीच नीलाम करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार में इससे पेट्रोलियम क्षेत्र में सरकार का हस्तक्षेप कम होगा, लेकिन पूरा काम पारदर्शिता से होगा।


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