एक ऐसा मंदिर, जहां तस्कर चढ़ाते हैं अफीम
एक मंदिर ऐसा भी है, जहां अफीम चढ़ाई जाती है। कहते हैं कि अफीम के बड़े तस्कर अपनी खेप भेजने से पहले इस मंदिर में माथा टेकते हैं और कमाई में से एक हिस्सा भगवान को भी पहुंचाते हैं।
नई दिल्ली। एक मंदिर ऐसा भी है, जहां अफीम चढ़ाई जाती है। कहते हैं कि अफीम के बड़े तस्कर अपनी खेप भेजने से पहले इस मंदिर में माथा टेकते हैं और कमाई में से एक हिस्सा भगवान को भी पहुंचाते हैं।
पश्चिमी मध्य प्रदेश के नीमच से करीब 65 किलोमीटर दूर विश्व प्रसिद्ध सांवलिया सेठ का मंदिर है, जिसे कृष्ण धाम भी कहा जाता है। यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की डूंगला तहसील के मंडफिया में स्थित है।
सांवलिया मित्र मंडल नीमच के सदस्य दिनेश नलवाया के मुताबिक, वैसे तो इस मंदिर में देश-दुनिया से कई श्रद्धालु आते हैं, लेकिन अफीम तस्कर सांवलिया सेठ को अपना देवता मानते हैं।
तस्कर अपने धंधे के मुनाफे में से सांवलिया सेठ का हिस्सा भी निकालते हैं। हर महीने अमावस्या के दिन जब पेटी खोली जाती है तो उसमें से राशि के साथ-साथ अफीम भी मिलती है। इस बार भी जब मंदिर की दान पेटी खोली गई तो उसमें से अफीम भी निकली। चूंकि अफीम को काला सोना कहा जाता है, इसलिए सांवलिया सेठ को काले सोने का देवता भी कहते हैं।
2 करोड़ 46 लाख का चढ़ावा
सांवलिया सेठ के दरबार में हर माह की अमावस्या को खास दिन होता है। इस दिन मंदिर की दान पेटी खुलती है।सोमवार को भी जब मंदिर की दान पेटी खुली तो उसमें से 2 करोड़ 29 लाख 9 हजार 786 रुपये नगद, 100 ग्राम सोना और एक किलो 394 ग्राम चांदी प्राप्त हुई।
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