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एक और कालाहांडी, एंबुलेंस नहीं मिलने पर लाश की हड्डी तोड़ बनाई पोटली

ओडिशा में कंधे पर अपनी पत्नी के शव को ले जाते हुए शख्स की तस्वीर वायरल हुए अभी दो दिन भी नहीं हुए थे कि इसी तरह का एक और मामला राज्य में सामने आया है।

By kishor joshiEdited By: Published: Fri, 26 Aug 2016 10:13 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 02:08 PM (IST)
एक और कालाहांडी, एंबुलेंस नहीं मिलने पर लाश की हड्डी तोड़ बनाई पोटली

भुवनेश्वर। ओडिशा में दो दिनों के भीतर दो अलग-अलग तस्वीरों ने वहां की सरकारी व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। बुधवार को कालाहांडी का एक आदिवासी शख्स पत्नी की लाश को कंधे पर ले जाता दिखा क्योंकि उसके पास गाड़ी वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे और अस्पताल ने भी कोई व्यवस्था करने से मना कर दिया था।

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वहीं गुरुवार को कुछ अस्पताल कर्मचारी एक महिला की लाश पर चढ़े नजर आ रहे हैं और उसकी हड्डियां तोड़ते दिखते हैं। इसके बाद लाश को मोड़कर पोटली की शक्ल देते हैं औऱ फिर उसे बांस से लटकाकर चलते नजर आते हैं।

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दरअसल 80 वर्षीया विधवा सलमानी बेहरा की बालासोर जिले में बुधवार सुबह सोरो रेलवे स्टेशन के नजदीक एक मालगाड़ी के नीचे आ जाने से मौत हो गई थी जिसके बाद उसकी लाश को सोरो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ले जाया गया। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) को घटना की जानकारी दे दी गई थीलेकिन कर्मचारी 12 घंटे बाद वहां पहुंचे। लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए बालासोर ले जाना था लेकिन वहां कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं थी।

इस बारे में सोरो जीआरपी के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर प्रताप रुद्र मिश्रा ने बताया कि उन्होंने लाश को ले जाने के लिए एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर से बात कि जिससे लाश को ट्रेन द्वारा बालासोर भेजा जा सके। मिश्रा ने बताया, "ऑटो ड्राइवर 3,500 रुपए मांग रहा था लेकिन हम इस तरह के काम के लिए 1000 रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सकते। मेरे पास लाश को ले जाने के लिए सीएचसी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था"

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देरी होने कारण लाश अकड़ गई थी। इस वजह से कामगारों को लाश बांधने में परेशानी हो रही थी इसलिए उन्होंने कूल्हे के पास से लाश को तोड़ दिया, उसके बाद उसे पुरानी चादर में लपेटा, एक बांस के खंबे से बांधा और दो किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्टेशन ले गए। उसके बाद लाश को ट्रेन से ले जाया गया।

व्यवहार से आहत है मृतका का बेटा

मृतका बेहरा के 60 वर्षीय बेटे रबिंद्र बरीक का कहना है कि जब उन्हें अपनी मां की लाश के साथ किए गए व्यवहार के बारे में पता चला तो वह सन्न रह गए। उन्होंने कहा, 'उन्हें थोड़ी और मानवता दिखानी चाहिए थी। मैंने शुरू में पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा करने की सोची, लेकिन हमारी शिकायत पर कार्रवाई कौन करेगा?'

मानवाधिकार आयोग ने लिया स्वतः संज्ञान

मामले का स्वत: संज्ञान लेने हुए ओडिशा मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष बीके मिश्रा ने गुरुवार को आईजी, जीआरपी और बालासोर जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर कहा है कि वे घटना की जांच के आदेश दें और चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपे।

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