11 रुपये गबन के आरोप में नर्स को 26 साल बाद मिली एक साल जेल की सजा
एटा की एक नर्स को एक 26 साल पुराने मामले में 100 रुपये जुर्माना और एक साल जेल की सजा सुनाई गई है। यह मामला 11 रुपये के गबन और नसबंदी रैकेट में शामिल होने का है। नर्स के अलावा सम्बंधित अस्पताल के 4 अन्य कर्मचारियों को भी दोषी माना
मेरठ। एटा की एक नर्स को एक 26 साल पुराने मामले में 100 रुपये जुर्माना और एक साल जेल की सजा सुनाई गई है। यह मामला 11 रुपये के गबन और नसबंदी रैकेट में शामिल होने का है। नर्स के अलावा सम्बंधित अस्पताल के 4 अन्य कर्मचारियों को भी दोषी माना गया है और उसे भी यही सजा दी गई है।
साल 1989 में एटा में नसबंदी कैंपेन चलाई गई थी। इसके अंतर्गत 4600 पुरुष-महिलाओं की सालाना नसबंदी का लक्ष्य रखा गया था। इसके तहत सरकार ने 181 रुपये देने का वादा किया था, जिसमें 135 रुपये नसबंदी करवाने वाले व्यक्ति को, 40 रुपये उसे प्रोत्साहित करने वाले को 4 सर्जन को और 2 स्वास्थ्य विभाग और सफाई कर्मचारी के बीच बराबरी से बांटा जाता था।
ऐसे ही एक कैंप में 12 लोगों ने नसबंदी के लिए पंजीकरण करवाया था। कासगंज के तत्कालीन एमएलए ने 1 मार्च 1990 में आरोप लगाया कि मेडिकल स्टाफ ने फर्जी आंकड़े दिखाकर रुपयों का गबन किया। इस पर आगरा विजिलेंस डिपार्टमेंट ने जांच बैठाई। 7-8 साल चली जांच में 12 में से 11 केस फर्जी पाए गए।
तत्कालीन डीएसपी (एंटी करप्शन सेल) हरवीर सिंह ने मामले को हाथ में लिया और फरवरी 1996 को 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें सीएमओ, लेखपाल, अकाउंटेंट, नर्स और स्वीपर शामिल थे। 26 साल में इस केस की 185 सुनवाई हुईं, इस बीच दो आरोपियों की मौत भी हो गई। मंगलवार को स्पेशल कोर्ट मेरठ ने फैसला सुनाया, जिसमें नूरजहां और शोबराम को दोषी पाया गया।