भारत में घर खरीद सकते हैं एनआरआई
शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि ज्यादातर अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को अपने वतन आना पड़ता है। लिहाजा वे भारत में कोई भी घर खरीद सकते हैं।
नई दिल्ली। शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि ज्यादातर अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को अपने वतन आना पड़ता है। लिहाजा वे भारत में कोई भी घर खरीद सकते हैं। इसके साथ ही आयोग ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक लिमिटेड को एक एनआरआई को 64 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। कंपनी ने उन्हें ग्रेटर नोएडा में एक फ्लैट का कब्जा देने से मना कर दिया था।
जस्टिस जेएम मलिक की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने सुपरटेक को दक्षिणी दिल्ली की निवासी रेशमा भगत और उनके बेटे तरुण भगत को 63,99,727 रुपये देने का निर्देश दिया। तरुण भगत ने फर्म की परियोजना में एक फ्लैट 2008 में बुक किया था।
शिकायतकर्ता के अनुसार, इसका कब्जा 2009 में दिया जाना था और उस समय तक कंपनी ने इमारत का निर्माण नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने पैसे की वापसी और हर्जाने के लिए उपभोक्ता आयोग का रुख किया। कंपनी ने एनसीडीआरसी में शिकायत का विरोध किया और दावा किया कि फ्लैट एनआरआई तरुण के नाम पर बुक किया गया था।
इसे रहने नहीं बल्कि मुनाफे के मकसद से बुक किया गया था। इसलिए वह खुद को उपभोक्ता होने का दावा नहीं कर सकते हैं। लेकिन आयोग ने कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा, "यह कोई नियम नहीं हो सकता है कि हर एनआरआई भारत में खुद की संपत्ति नहीं ले सकता। ज्यादातर एनआरआई को अपने वतन आना पड़ता है। हर एनआरआई भारत में एक घर चाहता है। वह (तरुण) एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं और भारत में अपने नाम पर कोई भी घर खरीद सकते हैं।"