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    अध्यादेश के जरिये पीएम के प्रमुख सचिव बने नृपेंद्र मिश्र

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    Updated: Thu, 29 May 2014 07:28 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के पूर्व आइएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र को प्रधानमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया है। भारतीय दूरसंचार नियामक आयोग (ट्राई) के पूर्व चेयरमैन मिश्र की नियुक्ति का रास्ता साफ करने के लिए अध्यादेश के जरिये कानूनी बाध्यता को खत्म कर दिया गया। मिश्र इसके पहले वाजपेयी सरकार में दूरसंचार सचिव समेत अहम पदों पर काम कर चुके हैं।

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    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के पूर्व आइएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र को प्रधानमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया है। भारतीय दूरसंचार नियामक आयोग (ट्राई) के पूर्व चेयरमैन मिश्र की नियुक्ति का रास्ता साफ करने के लिए अध्यादेश के जरिये कानूनी बाध्यता को खत्म कर दिया गया। मिश्र इसके पहले वाजपेयी सरकार में दूरसंचार सचिव समेत अहम पदों पर काम कर चुके हैं।

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    राष्ट्रवादी सोच के कारण नरेंद्र मोदी के पसंद बने नृपेंद्र मिश्र के प्रमुख सचिव बनने की चर्चा कई दिनों से चल रही थी लेकिन ट्राई कानून का एक प्रावधान इसके आड़े आ रहा था। इस प्रावधान के अनुसार ट्राई का अध्यक्ष या सदस्य सेवानिवृत्ति के बाद ताउम्र केंद्र या राज्य में कोई सरकारी पद नहीं ग्रहण कर सकता है और दो साल तक किसी निजी कंपनी में लाभ का पद नहीं ले सकता है।

    नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति का रास्ता साफ करने के लिए मोदी सरकार ने अध्यादेश के जरिये ट्राई के प्रावधान में संशोधन कर दिया। नए प्रावधान में ट्राई के अध्यक्ष या सदस्य को सेवानिवृत्ति के दो साल तक केंद्र या राज्य या दूरसंचार से संबंधित किसी कंपनी में पद लेने पर रोक रहेगी। इसके बाद भी केवल केंद्र की पूर्व अनुमति से ही वे कोई पद ग्रहण कर सकते हैं। अध्यादेश जारी होने के बाद कार्मिक मंत्रालय ने नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी।

    2004 से 2009 तक ट्राई के अध्यक्ष के रूप में नृपेंद्र मिश्र ने 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के माध्यम से करने की सिफारिश की थी लेकिन संप्रग सरकार ने उनकी सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया। सीबीआइ ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में उन्हें अदालत में गवाह के रूप में पेश किया था। ट्राई के अध्यक्ष बनने के पहले मिश्र दूरसंचार सचिव और दूरसंचार आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विदेशों में भी काम करने का उनका लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है।

    कांग्रेस ने अध्यादेश लाने पर पीएम की आलोचना की

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्र की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए ट्राई के अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने पर कांग्रेस पार्टी ने पीएम की कड़ी आलोचना की है।

    कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने सरकार के इस कदम को संसदीय और लोकतांत्रिक आदर्शो के प्रति अनादर करार दिया है।

    माकन ने सवाल किया कि जिस पार्टी ने खाद्य सुरक्षा और भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों के लिए अध्यादेश का विरोध किया, उसे एक अधिकारी की नियुक्ति के लिए अध्यादेश लाने की इतनी जल्दी क्यों हुई?

    उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम गैर जरूरी है। सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब एक हफ्ते के भीतर ही संसद का सत्र शुरू होने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसी क्या तत्काल जरूरत थी कि एक ऐसा अध्यादेश जारी किया गया जिसे कैबिनेट ने भी मंजूर नहीं किया था।

    सौरभ चंद्रा हो सकते हैं अगले कैबिनेट सचिव

    नई दिल्ली। पेट्रोलियम सचिव सौरभ चंद्रा अगले कैबिनेट सचिव बन सकते हैं। वह अगले माह सेवानिवृत्त हो रहे अजीत सेठ का स्थान ले सकते हैं।

    उत्तर प्रदेश कैडर के 1978 बैच के आइएएस अधिकारी चंद्रा मार्च में तेल मंत्रालय में आने के पहले औद्योगिक नीति व प्रोत्साहन विभाग में सचिव थे। सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार मध्य प्रदेश कैडर के 1977 बैच के अधिकारी व केंद्रीय ऊर्जा सचिव पीके सिन्हा और चंद्रा के नाम पर विचार कर रही है।

    मुकुल रोहतगी होंगे नए अटॉर्नी जनरल

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी भारत के नए अटॉर्नी जनरल होंगे। हालांकि, सरकार की ओर से अभी उनकी नियुक्ति की औपचारिक अधिसूचना जारी होना बाकी है। संप्रग सरकार द्वारा नियुक्त किए गए अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती और सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। रोहतगी वाहनवती की जगह लेंगे।

    मुकुल रोहतगी इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। उन्होंने गुजरात दंगों और फर्जी मुठभेड़ के मुकदमों में गुजरात सरकार की पैरवी की है। इसके अलावा इटली के नौसैनिकों के खिलाफ चल रहे मुकदमें में रोहतगी इटली सरकार की पैरवी कर चुके हैं। रोहतगी ने बताया कि अभी उन्हें नियुक्ति की चिट्ठी नहीं मिली है। हालांकि, अगर वह आते हैं तो सरकार के मुकदमों को कम करना उनकी प्राथमिकता होगी। वह कहते हैं कि अच्छे विधि अधिकारियों की नियुक्ति और सभी के मिलकर काम करने से निश्चित तौर पर सरकारी मुकदमों का बोझ कम करने में मदद मिलेगी।

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