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यूपी: भाजपा की प्रदेश टीम से कई दिग्गजों की छुट्टी तय

उपचुनाव नतीजे आने के बाद प्रदेश भाजपा की टीम में व्यापक बदलाव के संकेत हैं। केवल मुख्य संगठन ही नहीं अनुसांगिक इकाइयों में भी उलटफेर करके मिशन-2017 की तैयारी में जुटा जाएगा। संगठन में फेरबदल की वजह कई प्रदेश पदाधिकारियों की प्रोग्रेस रिपोर्ट बेहतर नहीं होना बताया जा रहा है। वहीं जातीय गणित साधने क

By Edited By: Published: Mon, 15 Sep 2014 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 15 Sep 2014 09:54 AM (IST)
यूपी: भाजपा की प्रदेश टीम से कई दिग्गजों की छुट्टी तय

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। उपचुनाव नतीजे आने के बाद प्रदेश भाजपा की टीम में व्यापक बदलाव के संकेत हैं। केवल मुख्य संगठन ही नहीं अनुसांगिक इकाइयों में भी उलटफेर करके मिशन-2017 की तैयारी में जुटा जाएगा। संगठन में फेरबदल की वजह कई प्रदेश पदाधिकारियों की प्रोग्रेस रिपोर्ट बेहतर नहीं होना बताया जा रहा है। वहीं जातीय गणित साधने को पुरानों को बदलकर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक बदलाव करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व से भी हरी झंडी मिल चुकी है।

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लोकसभा चुनाव के बाद संगठन की बैठकों से लगातार गैरहाजिर चल रहे एक महामंत्री का टीम से बाहर होना लगभग तय माना जा रहा है। उनके बदले किसी दलित नेता को मौका मिलेगा। दो पूर्व विधायकों ने नाम प्रदेश महामंत्री की दौड़ में हैं। उपाध्यक्ष पदों में छंटनी संभव है तो तीन प्रदेश मंत्रियों को प्रोन्नति मिलने की आस है।

मार्गदर्शक मंडल जैसा प्रयोग भी संभव :

केंद्रीय टीम की तरह प्रदेश में भी वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शक मंडल तैयार करके उनके अनुभव का लाभ प्रशिक्षण दिलाने अथवा सलाहाकार के रूप में करने की योजना अमल आई तो कई नाम हाशिए पर होंगे। उम्मीद है साठ वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं के अनुभव का लाभ विशेष कार्यो में लिया जाए। प्रवास एवं दौरों में संकोच करने वाले नेताओं को आराम देने की तैयारी है। इसके अलावा संगठन या चुनाव में से किसी एक कार्य की प्राथमिकता स्पष्ट करने के बाद पदों की जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा है।

दलितों व पिछड़ों को मिलेगी तरजीह :

प्रदेश संगठन के प्रमुख पदों पर दलितों व पिछड़े नेताओं का उचित समायोजन नहीं होना भी बदलाव की अहम वजह बताई जा रही है। बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष और विधानमंडल के दोनों शीर्ष पदों पर केवल सवर्ण वर्ग को ही प्रतिनिधित्व दिया गया। ऐसे में अन्य प्रमुख पदों पर पिछड़े वर्ग व दलित समाज की भागीदारी बढ़ना तय है। बसपा को कमजोर करने के लिए भाजपा के प्लान पर आरएसएस की मुहर लगने के बाद इसी माह के अंत तक बदलाव होने की उम्मीद है।

कई क्षेत्रीय टीमों का भी पुनर्गठन होगा :

प्रदेश संगठन में छंटनी के अलावा क्षेत्रीय समितियों की समीक्षा भी होगी। बदलाव की जद में आ रही पश्चिमी क्षेत्र की टीम में कुछ पदाधिकारी प्रोन्नत हो सकते हैं। इसके अलावा दो क्षेत्रों की टीमों में भी अदल-बदल की चर्चा है। मोर्चा प्रकोष्ठों की कार्यशैली को लेकर भी पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं है। सूत्रों का कहना है कि दो मोर्चो के प्रदेश अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। करीब आधा दर्जन प्रकोष्ठों के संयोजकों को निष्क्रियता के चलते हटाया जा सकता है।

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