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अब रक्त जांच से हो सकेगी कैंसर की पहचान

अब रक्त की एक जांच से संभव हो सकेगी पांच तरह के कैंसर की पहचान। मरीज को कैंसर की पहचान या पुष्टि के लिए बायोप्सी(ट्यूमर के टुकड़े का सैंपल देना) की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे कैंसर की आरंभिक अवस्था में पहचान कर लाखों लोगों को बचा पाना संभव होगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 04:48 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 04:57 PM (IST)
अब रक्त जांच से हो सकेगी कैंसर की पहचान

नई दिल्ली। अब रक्त की एक जांच से संभव हो सकेगी पांच तरह के कैंसर की पहचान। मरीज को कैंसर की पहचान या पुष्टि के लिए बायोप्सी(ट्यूमर के टुकड़े का सैंपल देना) की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे कैंसर की आरंभिक अवस्था में पहचान कर लाखों लोगों को बचा पाना संभव होगा।

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बड़ी सफलता

नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने इस दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्त की जांच से आंत, फेफड़े, पेट, छाती और गर्भाशय के कैंसर की पहचान करना संभव होगा। पहचान और निदान का नया शोध 'स्ट्राइकिंग डीएनए सिग्नेचर' पर आधारित है।

जीन हो जाता 'स्विच ऑफ'

विज्ञानियों के अनुसार शरीर के इन पांच स्थानों पर जब कैंसर पनपना शुरू होता है तब एक विशेष जीन जेडएनएफ 154 अपना व्यवहार बदल कर काम करना बंद कर देता है। शरीर की एक विशेष रासायनिक प्रक्रिया 'मिथाइलेशन' के ट्यूमर में तेज होने के कारण वह जीन 'स्विच ऑफ' होने लगता है।

मिथाइलेशन प्रक्रिया

शोध का नेतृत्व करने वाली डॉ लारा एलनित्स्की का कहना है कि हमें बड़ी कामयाबी मिली है। मिथाइलेशन आधारित प्रक्रिया ठीक वैसी है जैसी देवदार के जंगल में फर के वृक्ष के साथ होती है। कैंसर का पता लगाना बेहद कठिन तकनीकी और जैविक चुनौती है लेकिन हमने पाया कि विशेष जीन जेडएनएफ 154 के चारों ओर मिथाइलेशन की घेरेबंदी है।

2013 में भी किया था शोध

डॉ एलनित्स्की की टीम ने 2013 में भी शरीर के 13 विभिन्न भागों में 15 प्रकार के कैंसर में मिथाइलेशन की मुख्य कारण व कारक के रूप में पहचान की थी। तब माना गया था कि यही विश्व में कैंसर का मुख्य बायोमार्कर(जैविक अणु)है। शोध के लिए डॉ एलनित्स्की ने ट्यूमर से डीएनए लिया जिससे मिथाइलेशन प्रक्रिया का पता चला।

आसान आधार तैयार

उन्होंने कहा कि हमने कैंसर जांच का आसान आधार तैयार कर दिया है। अब इस घातक रोग की आरंभिक अवस्था में पहचान करना संभव होगा, कैंसर से मृत्यु दर पर आश्चर्यजनक तरीके से नियंत्रण पाना संभव होगा। उन्होंने कहा, शोध की कामयाबी पर उस रात को मेरी टीम का कोई सदस्य उत्साह के कारण सो नहीं पाया था। ऐसी शोध पहले कोई नहीं कर पाया ।

अलग-अलग जांच नहीं जरूरी

अब मरीज को कैंसर की जांच के लिए अलग-अलग रक्त जांच या सैंपल के लिए ट्यूमर का हिस्सा कटवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नए शोध से इलाज के दौरान ट्यूमर की स्थिति का पता लगाना भी संभव होगा। यह शोध द जर्नल ऑफ मोलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स में प्रकाशित हुआ है।

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