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भोपाल मुठभेड़ कांड में केन्द्र व मध्य प्रदेश को नोटिस

याचिका में मुठभेड़ की एसआइटी या सीबीआइ से जांच कराने की है मांग...

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 24 Jul 2017 10:09 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jul 2017 10:09 PM (IST)
भोपाल मुठभेड़ कांड में केन्द्र व मध्य प्रदेश को नोटिस
भोपाल मुठभेड़ कांड में केन्द्र व मध्य प्रदेश को नोटिस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल सिमी आतंकी मुठभेड़ कांड में केन्द्र व मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। भोपाल में पिछले साल सिमी के आठ आतंकी जेल से भागे थे बाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में सभी आठ आतंकी मारे गये थे। मारे गये एक आतंकी की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जांच एसआइटी या सीबीआइ से कराने की मांग की है।

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हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए एसआइटी और कमीशन गठित किये जाने को देखते हुए याचिका खारिज कर दी थी।

सोमवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ दवे व फारुख रशीद की दलीलें सुनने के बाद केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। वकीलों का कहना था कि पूरे मुठभेड़ कांड की किसी ऐसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए जो कि मध्य प्रदेश सरकार के तहत न आती हो। याचिका में मध्य प्रदेश राज्य के तहत आने वाली जांच पर संदेह जताया गया है।

याचिका में एक सदस्यीय जांच आयोग की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि आयोग ने याचिकाकर्ता या मुठभेड़ में मारे गये लोगों के किसी और रिश्तेदार को जांच में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी थी और न ही आयोग ने पुलिस अधिकारियों से जिरह की ही इजाजत दी थी। याचिका में कहा गया है कि विचाराधीन कैदियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से कानून के शासन और आपराधिक न्याय प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। मौजूदा मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जरूरत है। हाईकोर्ट का याचिका खारिज करने का आदेश ठीक नहीं है।

हाईकोर्ट से मांग की गई थी कि वो गैर कानूनी मुठभेड़ के दोषियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दे। कोर्ट की निगरानी में एसआइटी या सीबीआइ से मामले की जांच कराई जाए। इतना ही नहीं मुठभेड़ में मारे गये लोगों द्वारा की गई हेड कांस्टेबिल की हत्या की जांच भी मध्य प्रदेश पुलिस के अलावा किसी और सक्षम अथारिटी से कराई जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने सभी मांगे नजरअंदाज करते हुए याचिका खारिज कर दी। पूरे मामले पर सवाल उठाते हुए याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने जल्दबाजी में इस मामले की जांच की है और मुख्य मंत्री ने मुठभेड़ में हिस्सा लेने वाले पुलिस कर्मियों को 2-2 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने मारे गये विचाराधीन कैदियों को सार्वजनिक तौर आतंकी घोषित कर दिया जबकि उन्हें किसी भी अदालत से दोषी नहीं ठहराया गया था। याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश में मामले की निष्पक्ष जांच होने में संदेह जताते हुए कहा कि इसमें राज्य पुलिसकर्मी शामिल हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने इस मुठभेड़ कांड की जांच आइपीएस अनुराग शर्मा की अगुवाई में एसआइटी से कराई जिसका मुख्यालय भोपाल मे था। एसडीएम राजीव नंदन श्रीवास्तव से मजिस्ट्रेट जांच कराई गई तथा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस एसके पांडा से जांच कराई गई याचिकाकर्ता का कहना है कि इस किसी भी जांच को मध्य प्रदेश सरकार के प्रभाव से मुक्त नहीं कहा जा सकता। मध्य प्रदेश सरकार चाहें जितनी जांचे करा ले लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलने वाला जबतक कि जांच राज्य अथारिटी के बाहर न हो।

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