नोटबंदी मुद्दा अब आरबीआइ के हवाले
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्वयं इस बात के संकेत दिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी के 55 दिन खत्म होने के बाद क्या सरकार ने अब इससे जुड़े कायदे कानून बनाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से आरबीआइ पर छोड़ दी है? वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्वयं इस बात के संकेत दिए।
जेटली से जब यह पूछा गया कि बैंकों से नकदी निकासी पर लगी रोक कब हटाई जाएगी तो उनका जवाब था कि बाजार की स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक स्वयं ही यह कदम उठाएगा। इसी तरह से जब आरबीआइ की तरफ से 30 जनवरी के बाद सिर्फ प्रवासी भारतीयों को पुराने नोट बदलने की छूट देने संबंधी नियम को ले कर भी उन्होंने कोई भी हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।
08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि 30 दिसंबर, 2016 को नोट बदलने की अवधि समाप्त होने के बाद भी जनता भारतीय रिजर्व बैंक में पुराने प्रतिबंधित नोट जमा करा सकेंगे। लेकिन 31 दिसंबर, 2016 को जब केंद्रीय बैंक ने इस बारे में नियम जारी किये तो इसमें सिर्फ प्रवासी भारतीयों या नोटबंदी लागू होने के समय विदेश गये भारतीयों के पुराने नोट बदलने की बात थी।
भारतीय रिजर्व बैंक के दिल्ल कार्यालय में अभी भी जनता पुराने नोट ले कर पहुंच रही है लेकिन वहां उन्हें बताया जा रहा है कि उनके नोट नहीं बदले जाएंगे। जेटली से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि, ''हर व्यक्ति को पुराने नोट बदलने का काफी वक्त दिया गया था। बड़ी संख्या में लोगों ने बदल भी दिये हैं। कुछ ही लोग बचे हुए हैं। वजहें जो भी है आरबीआइ अपने हिसाब से नियम तय करता है और मैं उसका आदर करता हूं।''
नोटबंदी का विरोध करने वाले राजनीतिक दल और अर्थविद लगातार यह कह रहे हैं कि नोटबंदी के बाद से आरबीआइ की स्वायत्ता के साथ समझौता किया गया है। खास तौर पर जिस तरह से केंद्रीय बैंक एक के बाद एक नियम बनाता रहा और उसमें बदलाव करता रहा उसकी भी काफी आलोचना की गई है। कई बार तो वित्त मंत्रालय के स्तर पर भी आरबीआइ के तरफ से बनाये गये नियमों का विरोध किया गया। वित्त मंत्रालय के बयान के बाद दो बार आरबीआइ को नोटबंदी से जुड़े अपने नियम भी बदलने पड़े।
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