बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश, फैसला आने तक अंबेडकर भवन से एक ईंट भी ना हटाई जाए
ट्रस्ट के वकील शैलेश शाह ने अदालत में कहा कि बीएमसी ने भवन को जर्जर बताते हुए भवन को गिराने का आदेश दिया था जिसके बाद भवन को गिराया गया। अ
मुंबई। अंबेडकर भवन मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी राजनीतिक पार्टियों को ध्वस्त हुए भवन से दूर रहने और वहां पर किसी तरह की तोड़फोड़ करने या कोई नया कंस्ट्रशन ना करने का आदेश दिया है।
अंबेडकर भवन को साल 1930 में डॉ भीवराव अंबेडकर ने बनाया था और दलित समाज के लिए ये भवन उनकी आस्था से जुड़ा हुआ है। 25 जून की रात को इस भवन में तोड़फोड़ की गई थी जिसके बाद से मामला गंभीर होता चला गया।
बाबासाहेब के पोते प्रकाश अंबेड़कर ने उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है जो इस तोड़फोड़ के पीछे हैं साथ ही उन्होंने दलित समाज से भवन निर्माण के लिए श्रमदान देने की भी अपील की है।
इसके जवाब में अंबेडकर भवन का रखरखाव करने वाले पिपुल इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अंबेडकर भवन में निर्माण कार्य गैरकानूनी है और ऐसे निर्माण पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
ट्रस्ट के वकील शैलेश शाह ने अदालत में कहा कि बीएमसी ने भवन को जर्जर बताते हुए भवन को गिराने का आदेश दिया था जिसके बाद भवन को गिराया गया। अदालत ने अपने फैसले में दोनो पक्षों से कहा है कि जबतक मामला अदालत में लंबित है, तबतक उस जगह से एक भी ईंट को ना हटाया जाए।
अदालत ने पुलिस कमीश्नर को भी हिदायत दी है कि वो सुनिश्चित करें कि सोमवार को इस मामले पर सुनवाई से पहले निर्माणस्थल पर मौजूद दोनो पक्ष किसी तरह आपस में ना लड़ें