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पूर्वी व उत्तर भारत के 136 रेलवे स्टेशन गंदे, प्रतापगढ़ सबसे गंदा

136 स्टेशन अभी भी गंदे बने हुए हैं। दूसरी ओर 166 स्टेशनों में सेस का उपयोग कामचलाऊ साफ-सफाई के लिए किया गया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 10:18 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 06:36 AM (IST)
पूर्वी व उत्तर भारत के 136 रेलवे स्टेशन गंदे, प्रतापगढ़ सबसे गंदा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्वच्छता सेस का फायदा सभी रेलवे स्टेशनों में नहीं दिख रहा है। इससे देश के 105 रेलवे स्टेशन तो स्वच्छ हो गए हैं। लेकिन 136 स्टेशन अभी भी गंदे बने हुए हैं। दूसरी ओर 166 स्टेशनों में सेस का उपयोग कामचलाऊ साफ-सफाई के लिए किया गया है। पश्चिम और दक्षिण भारत के जो स्टेशन पहले से साफ थे वे और साफ हो गए हैं। जबकि उत्तर और पूर्वी भारत, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के स्टेशनों पर कोई असर नहीं पड़ा है। यात्रियों को लगता है कि प्लेटफार्म स्वच्छ हो सकते हैं।

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लेकिन टायलेट भी साफ रह सकते हैं इसकी उन्हें उम्मीद नहीं है। रेलवे द्वारा ए1 श्रेणी के 75 और ए श्रेणी के 332 स्टेशनों समेत कुल 407 बड़े स्टेशनों की अंतिम रैंकिंग से ये तथ्य उभर कर सामने आए हैं। मंगलवार को रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इसका आनलाइन संस्करण को जारी किया। प्रत्येक स्टेशन की रैंकिंग चालीस मानकों पर न्यूनतम 1 व अधिकतम 5 अंकों के आधार पर की गई है। जिसमें 1 सबसे खराब व 5 सबसे अच्छी स्थिति का द्योतक है। किसी स्टेशन को किसी एक यात्री द्वारा दिए गए कुल स्कोर को उस स्टेशन पर आने-जाने वाले कुल यात्रियों की संख्या से विभाजित कर एक गुणांक निकाला गया।

इस गुणांक का स्वच्छता के विभिन्न मानकों के वेटेज के साथ अलग-अलग गुणा और फिर सबका योग करके स्टेशन का कुल स्कोर प्राप्त किया गया। इस तरह 750 से अधिक अंक पाने वाले स्टेशन को सबसे स्वच्छ, 600-749 वाले को अच्छे, 500-599 वाले को बेहतर, 400-499 वाले को औसत तथा 400 से कम अंक पाने वाले स्टेशन को प्राय: गंदा माना गया हैं। खासकर प्लेटफार्मो की सफाई, कचरा प्रबंधन, टायलेट और स्टेशन के बाहरी हिस्से की स्वच्छता का आकलन किया गया। रैंकिंग का जिम्मा रेलवे बोर्ड के पर्यावरण निदेशालय ने आइआरसीटीसी को सौंपा था, जिसने इसके लिए प्राइवेट एजेंसी टीएनएस इंडिया प्रा. लि. की सेवाएं लीं। टीएनएस ने 19 टीमें बनाकर स्टेशनों पर भेजीं और यात्रियों के अलावा कुलियों, वेंडरों तथा रेलवे अधिकारियों की भी राय ली।

सबसे साफ 10 स्टेशन : जिन 10 स्टेशनों को सबसे ज्यादा स्वच्छ पाया गया है उनमें उत्तर रेलवे का एकमात्र ब्यास स्टेशन शामिल है। इसके अलावा गांधीधाम, वास्को-दा-गामा, जामनगर, कुंभकोणम, सूरत, नासिक रोड, राजकोट, सलेम तथा अंकलेश्र्वर स्टेशन भी टॉप टेन लिस्ट में शामिल हैं।

सबसे गंदे 10 स्टेशन : दूसरी ओर प्रतापगढ़, आरा जंक्शन, सगौली जंक्शन, अनुग्रह नारायण रोड, जंघाई, शाहगंज, रायचूर, बख्तियारपुर, बलिया तथा मधुबनी को देश के दस सबसे गंदे स्टेशनों में शुमार किया गया है।

बिलासपुर सबसे साफ मुख्यालय : जोनल मुख्यालयों के स्टेशनों में बिलासपुर को सबसे स्वच्छ, जबकि गुवाहाटी को सबसे गंदा पाया गया है। दूसरी ओर मुंबई सेंट्रल, हुबली सिकंदराबाद व जबलपुर को बेहतर तथा हाजीपुर, चेन्नई, सीएसटी मुंबई, इलाहाबाद, गोरखपुर, जयपुर और नई दिल्ली को औसत पाया गया है।सबसे

गंदे स्टेशनों वाले मंडल: हावड़ा, समस्तीपुर, इलाहाबाद, दानापुर, आगरा कैंट, सियालदह, दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी व मुगलसराय मंडलों में सबसे ज्यादा स्टेशन गंदे पाए गए हैं। मंडलीय मुख्यालयों में कटिहार, कोटा, हबीबगंज स्टेशन की स्थिति बेहतर, जबकि अंबाला की औसत पाई गई है। दूसरी ओर तिनसुखिया, दानापुर, सियालदह, मुगलसराय, रायपुर, रतलाम, पुणे व गुंटकल की खराब तथा पुणे की बेहद खराब है। कैग ने भी

जताई चिंता : स्टेशनों में साफ-सफाई को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी चिंता जताई है। संसद में मंगलवार को पेश रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि ए1 श्रेणी के 44 स्टेशनों में से 10, ए श्रेणी के 54 स्टेशनों में से 22 तथा बी श्रेणी के 80 स्टेशनों में से 57 स्टेशनों पर अभी भी मैकेनाइज्ड क्लीनिंग शुरू नहीं हुई है। कैग रिपोर्ट में सहारनपुर, मुंबई सेंट्रल, वडोदरा तथा कोलकाता स्टेशन पर गंदगी की तस्वीरें भी दी गई हैं।

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