काशी में हालात सामान्य, स्कूल-क़ॉलेज आज बंद, घाटों पर लौटी रौनक
सोमवार को बिगड़े हालात के बाद शहर अब पूरी तरह सामान्य हो चला है। लोग सुबह गंगा स्नान के साथ बाबा भोले के दर्शन कर अपनी दिनचर्या की शुरुआत कर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। सोमवार को बिगड़े हालात के बाद शहर अब पूरी तरह सामान्य हो चला है। लोग सुबह गंगा स्नान के साथ बाबा भोले के दर्शन कर अपनी दिनचर्या की शुरुआत कर चुके हैं। गोदौलिया पर तमाम तीर्थयात्रियो का जत्था गंगा घाट की तरफ जाता देखा रहा है जैसे कल कुछ हुआ ही नहीं है। यही है बनारस की पहचान जिसने कल कुछ मुट्ठी भर अराजक लोगो के मंसूबो पर अपने धैर्य से पानी फेर दिया है। हालांकि, स्कूल-कॉलेज आज बंद हैं।
अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान वाराणसी में सोमवार शाम भगदड़, पथराव, आगजनी और बमबाजी हुई। उपद्रव के दौरान दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें दो थानेदारों समेत 14 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। हालात संभालने के लिए प्रशासन ने वाराणसी के चार थाना क्षेत्रों- कोतवाली, चौक, दशाश्वमेध व लक्सा में कर्प्यू लगाया लेकिन तीन घंटे में हालात काबू होने पर बंदिश हटा ली। कर्फ्यू के दौरान काम से लौट रहे सूर्यप्रकाश बिंद नाम के युवक को पुलिस ने उपद्रवी समझ गोली मार दी। गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एसएसपी से बात करके हालात को नियंत्रित करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बिगड़े हालात के लिए भाजपा ने उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
हालात तब बिगड़े जब मैदागिन टाउन हॉल से निकलकर दशाश्वमेध की तरफ बढ़ती हजारों की भीड़ के साथ संतों की यात्रा गोदौलिया चौराहे पर पहुंची। जैसे ही जत्था दशाश्वमेध घाट की तरफ मुड़ा, मारवाड़ी अस्पताल के पास किसी ने पत्थर उछाल दिए जिससे भगदड़ मच गई। भगदड़ का कारण भीड़ में सांड़ों का घुस आना भी बताया जा रहा है। भगदड़ को देख पुलिस ने डंडे फटकारे तो स्थिति और बिगड़ गई। उत्तेजित भीड़ ने देखते ही देखते गोदौलिया में खड़ी पुलिस जीप, मोटर साइकिलों, पुलिस पिकेट समेत लगभग 25 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। धू-धू करके जलती गाडि़यों के उठते धुएं के बीच काशी का हृदय स्थल गोदौलिया धधक उठा। पुलिस पर पत्थरों की बारिश होने लगी। लोग अन्य वाहनों को भी शिकार बनाने लगे। इस दौरान मीडियाकर्मियों को भी पीटा गया और चार न्यूज चैनलों के वाहनों में आग लगा दी गई। फायर बिग्रेड की दो गाडि़यां भी लोगों के गुस्से का शिकार हुई।
पुलिस ने हालात काबू करने के लिए डंडे चलाए, लेकिन भीड़ के आगे सीमित बल असहाय था। इसी बीच भीड़ की तरफ से बम के धमाके जैसी तेज आवाज सुनाई दी। बेकाबू हालात को देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़ने शुरू किए। तब तक गिरजाघर से नई सड़क तक का इलाका सुलगना शुरू हो चुका था। गिरजाघर के पास भीड़ ने एसपी सिटी के वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर फोर्स पर पथराव शुरू कर दिया। ऐसे ही हालात नई सड़क, चेतगंज, बांसफाटक, लक्सा, लहुराबीर, नीचीबाग आदि में बनते चले गए। कई घंटे तक पुलिस और जनता के बीच जहां-तहां टकराव चलता रहा। देर रात तक ढाई दर्जन लोगों की गिरफ्तारी की खबर है।
संतों ने मंदिर में ली शरण
अन्याय प्रतिकार यात्रा का नेतृत्व करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व अन्य संत एकाएक मची भगदड़ से हैरान रह गए। जब तक वे कुछ समझते, हालात बेकाबू हो चुके थे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें पुलिस प्रशासन ने गोदौलिया से सटे बांसफाटक स्थित सत्यनारायण मंदिर में बिठा दिया।
अन्याय प्रतिकार यात्रा क्यों
गंगा में गणेश प्रतिमा विसर्जन की मांग पर अड़े संतों पर 22 सितंबर को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के विरोध में संतों ने अन्याय प्रतिकार यात्रा का आह्वान किया था। संतों की मांग थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनके बीच आएं और घटना को लेकर खेद व्यक्त करें।
मुख्यमंत्री से स्वामी ने कहा, देर हो गई
यात्रा की शुरुआत के पहले मंच से भाषण करते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया था कि अभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का फोन आया था पर उन्होंने उनसे (अखिलेश से) कह दिया कि अब देर हो गई, यात्रा निकलेगी।
पढ़ेंः वाराणसी में संतों की अन्याय प्रतिकार यात्रा में आगजनी, पथराव व बमबाजी, कर्फ्यू हटा