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सिर्फ 65 लोगों पर टैक्स से नौ करोड़ की गरीबी होगी छू मंतर

भारतीय मुद्रा में कहें तो इनमें से हर एक के पास 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। इनके पास इतनी ज्यादा दौलत है कि देश से गरीबी दो बार दूर की जा सकती है।

By Anjani ChoudharyEdited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 09:45 PM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 09:45 AM (IST)
सिर्फ 65 लोगों पर टैक्स से नौ करोड़ की गरीबी होगी छू मंतर

नई दिल्ली ! देश के सिर्फ 65 धनकुबेरों पर सरकार यदि मामूली टैक्स लगा दे तो पांच साल में नौ करोड़ लोग गुर्बत की जिंदगी से बाहर आ सकते हैं। गरीबों और अमीरों के बीच अंतर को पाटने के लिए इसकी जरूरत बताई गई है।

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विकास संगठन ऑक्सफैम इंडिया ने अपनी ताजा रिपोर्ट ''ईवेन इट अप : टाइम टु एंड एक्सट्रीम इनइक्वैलिटी' में यह बात कही है। इसमें सुझाव दिया गया है कि सुपर रिच यानी बेहद अमीर वर्ग के लोगों पर डेढ़ फीसद का वेल्थ टैक्स लगाकर गरीबी को कम करने के उद्देश्य को पाया जा सकता है। इसकी मदद से अत्यधिक गरीबी में जीवन-यापन कर रहे लोगों का स्तर सुधारा जा सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि यदि भारत विकास में असमानता को रोके तो 2019 तक नौ करोड़ लोगों का उत्थान हो सकता है।

संगठन की सीईओ निशा अग्रवाल ने कहा कि सरकार के लिए ऐसा कर लेना बहुत कठिन नहीं है। सिर्फ 65 धनकुबेरों पर डेढ़ फीसद का वेल्थ टैक्स लगाना होगा और करोड़ों लोग गरीबी से मुक्त होकर सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर पाएंगे।

अध्ययन में पाया गया कि भारत में 1990 के दशक में सिर्फ दो अरबपति [ डॉलर के हिसाब से] थे। 2014 में इनकी संख्या 65 हो गई। भारतीय मुद्रा में कहें तो इनमें से हर एक के पास 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। इनके पास इतनी ज्यादा दौलत है कि देश से गरीबी दो बार दूर की जा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र एशिया प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग [ यूएन-ईएससीएपी] की इस महीने की शुरुआत में आई रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भारत समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में गरीबों और अमीरों के बीच अंतर बढ़ रहा है। इस क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आय में असमानता बढ़ी है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2004-05 में 37.2 फीसद के मुकाबले 2011-12 में गरीबी का अनुपात घटकर 21.9 फीसद पर पहुंच गया। प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि के चलते ऐसा मुमकिन हुआ। 2011-12 में गांव के लिए प्रति माह प्रति व्यक्ति 816 रुपये पर गरीबी रेखा थी। शहरों के लिए यह आंकड़ा 1,000 रुपये था। यानी शहरों में रोजाना 33.33 रुपये और गांव में 27.20 रुपये से ज्यादा की वस्तुओं और सेवाओं की खपत करने वाले गरीब नहीं हैं।

काले धन की पनाहगाहों से आता है एफडीआइ

रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारत में आधे से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) काले धन की पनाहगाह बने देशों के जरिये घूम कर आता है। सरकार स्वास्थ्य की तुलना में करीब दोगुना सेना पर खर्च करती है। कर चोरी को लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और दुनिया के सबसे धनी लोगों पर नजर रखने की सलाह दी गई है।

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