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बांके बिहारी मंदिर में राष्ट्रपति को न, मुख्य सचिव को हां

जिस मंदिर में भगवान के दर्शन राष्ट्रपति को बाहर से कराए गए वहीं मंगलवार रात मुख्य सचिव के लिए यह नियम तोड़ दिया गया। उनके स्वागत में श्रीबांकेबिहारी मंदिर की तिवारी (परिसर) में प्रसाद खिलाने के लिए टेबिल सजाई गईं।

By Manoj YadavEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 09:50 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 09:53 PM (IST)
बांके बिहारी मंदिर में राष्ट्रपति को न, मुख्य सचिव को हां

वृंदावन। जिस मंदिर में भगवान के दर्शन राष्ट्रपति को बाहर से कराए गए वहीं मंगलवार रात मुख्य सचिव के लिए यह नियम तोड़ दिया गया। उनके स्वागत में श्रीबांकेबिहारी मंदिर की तिवारी (परिसर) में प्रसाद खिलाने के लिए टेबिल सजाई गईं।

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सुबह जानकारी होने पर सेवायतों ने विरोध जताया। मामले ने तूल पकड़ा तो अफसर कन्नी काटने लगे जबकि प्रसाद ग्रहण का पूरा कार्यक्रम सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो चुका है। प्रसाद ग्रहण के बाद देर रात कुछ अफसरों को फूड प्वाइजनिंग होने का मामला भी सामने आया है।

ध्यान रहे, पिछले साल 16 नवंबर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बांके बिहारी मंदिर पहुंचे थे, तब सेवायत गोस्वामियों ने मंदिर की मर्यादा का हवाला देते हुए उन्हें जगमोहन (बांके बिहारी का चबूतरा) के नीचे से दर्शन करवाए थे। मंगलवार को विकास कायोर्ं की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव आलोक रंजन पहुंचे। उनके श्री बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन को लेकर मंदिर के सेवायत आनंद किशोर गोस्वामी व जुगलकिशोर गोस्वामी ने तैयारियां शुरू कर दीं।

रात लगभग आठ बजे मुख्य सचिव पत्नी और अधिकारियों के साथ दर्शन करने के बाद राधाबल्लभ मंदिर दर्शन करने चले गए। लगभग साढ़े नौ बजे श्री बांकेबिहारी की शयन आरती में आला अफसर शामिल हुए। परंपरा तोड़ते हुए शयन आरती के बाद बंद हो चुके मंदिर के प्रवेश द्वार दो को रात दस बजे खुलवाया गया और मंदिर की तिवारी में मेज- कुर्सी सजाई गईं। सभी अधिकारियों को बैठाकर प्रसाद परोसा गया। लगभग 10.40 बजे सारे अधिकारी प्रसाद ग्रहण कर बाहर निकले।

ऐसा तब हुआ जबकि मंदिर परिसर में प्रसाद खिलाए जाने पर अदालत ने रोक लगा रखी है। मर्यादा की वजह से रात में मंदिर बंद होने के बाद दरवाजा भी नहीं खुलवाया जाता। मुख्य सचिव के स्वागत में मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर, जिलाधिकारी राजेश कुमार, एसपी सिटी शैलेंद्र कुमार पांडे आदि कई अन्य अफसर उपस्थित रहे।

11 साल पहले लगी थी रोक

मंदिर प्रबंधक श्रीकृष्ण सरस ने 29 अक्टूबर, 2004 को जूनियर डिवीजन सिविल कोर्ट मथुरा में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रसाद ग्रहण करने से जूठन व गंदगी फैलती है। ठाकुरजी के विश्राम में खलल न पड़े, इसलिए इस पर रोक जरूरी है। कोर्ट ने 30 अक्टूबर, 2004 को मंदिर परिसर के अंदर प्रसाद खिलाने पर पाबंदी लगा दी थी।

बांकेबिहारी को पहनाई थी जींस

इस प्रकरण के जिम्मेदार दोनों सेवायत बांकेबिहारी को जींस-टीशर्ट पहनाकर भी सुर्खियों में आए थे। इसके खिलाफ उप्र, दिल्ली समेत अनेक राज्यों में गुस्सा फूटा था। बाद में सेवायतों ने माफी मांगी थी। इसी वर्ष जनवरी में इन्हीं सेवायतों की यज्ञशाला में तीन युवकों की संदिग्ध मौत भी हो गई थी। दोनों सेवायत और उनके पुत्रों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज है।


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