राशन नहीं, अब नकदी देगी मोदी सरकार
'जन धन' और 'पहल' जैसी योजनाओं की सफलता के बाद अब रियायती दर पर मिलने वाले राशन की जगह खाद्य मंत्रालय ने नगद सब्सिडी देने की शांता समिति की सिफारिश पर मुहर लगा दी है।
नई दिल्ली । 'जन धन' और 'पहल' जैसी योजनाओं की सफलता के बाद अब रियायती दर पर मिलने वाले राशन की जगह खाद्य मंत्रालय ने नगद सब्सिडी देने की शांता समिति की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी की राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा कराई जाएगी। इससे राशन प्रणाली में बिचौलिये की भूमिका खत्म हो जाएगी। साथ ही, अनाज की होने वाली चोरी पर रोक लगेगी। इस आशय की सिफारिश शांता कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने की थी।
प्रधानमंत्री जन धन योजना में खोले गए बैंक खातों में केंद्र व राज्यों की लगभग दो दर्जन योजनाओं के लाभ सीधे उनके खातों में जमा कराए जा रहे हैं। इसी तरह पहल के माध्यम से रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खातों में जमा कराई जा रही है। इससे योजनाओं में चोरी और अनियमितता को रोकने में सफलता मिली है। शांता समिति की सिफारिशों पर खाद्य मंत्रालय की टिप्पणी के बारे में खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने प्रेसवार्ता में जानकारी दी।
बैंक खाते में खाद्य सब्सिडी जमा कराने के बारे में पासवान ने बताया कि योजना को प्रायोगिक तौर पर चंडीगढ़ और पुडुचेरी में शुरू किया जाएगा। बाजार भाव और खाद्य सुरक्षा कानून के लिए निर्धारित मूल्य के अंतर को बैंक खाते में जमा कराया जाएगा। खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने वाले राज्यों में ही सीधे खाते में जमा कराने का प्रावधान हो सकेगा। हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट को लेना है।
खाद्य सब्सिडी सीधे खाते में जमा कराने के बाद उपभोक्ता कहीं से भी खाद्यान्न खरीदने के लिए स्वतंत्र होगा। लेकिन इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर होने वाली सरकारी खरीद व भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआइ के गोदामों की उपयोगिता जैसे गंभीर मुद्दे उठ खड़े होते हैं।
सबसे अहम सिफारिश खारिज
शांता समिति की सबसे अहम सिफारिश राशन प्रणाली के दायरे को 67 से घटाकर 40 फीसद तक सीमित करने को खाद्य मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है। पंजाब व हरियाणा में एफसीआइ की खरीद को बंद कर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सरकारी खरीद शुरू करने की सिफारिश पर खाद्य मंत्रालय ने असमर्थता जाहिर की है। चावल पर लेवी के प्रावधान को समाप्त करने पर सहमति बनी है। मंडियों में समान कर प्रणाली को लागू करने पर उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल जैसे सूबों की सहमति के बावजूद बाकी राज्यों ने साफ मना कर दिया है।
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