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अटल को भुनाने में जी-जान से जुटे हैं राजनाथ

'छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।' ये पंक्तियां अब सजाने और सुनाने लायक हो गई हैं। इनके रचयिता हैं अटल बिहारी वाजपेयी। कहीं-कहीं तो इन पंक्तियों को भाजपा कार्यालयों या फिर राजनेताओं के घरों पर अटल के फोटो के साथ सजाया जा रहा है। कभी-कभी इन्हें राजनाथ सि

By Edited By: Published: Fri, 25 Apr 2014 02:14 AM (IST)Updated: Fri, 25 Apr 2014 08:09 AM (IST)
अटल को भुनाने में जी-जान से जुटे हैं राजनाथ

लखनऊ, [दिलीप अवस्थी]। 'छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।' ये पंक्तियां अब सजाने और सुनाने लायक हो गई हैं। इनके रचयिता हैं अटल बिहारी वाजपेयी। कहीं-कहीं तो इन पंक्तियों को भाजपा कार्यालयों या फिर राजनेताओं के घरों पर अटल के फोटो के साथ सजाया जा रहा है। कभी-कभी इन्हें राजनाथ सिंह अपने भाषणों में खूबसूरती से पिरो देते हैं।

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अटल बिहारी वाजपेयी का साया इस लोकसभा चुनाव पर भी गहराता जा रहा है। अब तो मोदी के विज्ञापनों में भी वह चिर-परिचित मुस्कुराता चेहरा प्रमुखता से नजर आने लगा है। अटल जी भले ही अस्वस्थ हों और स्वयं भाजपा की मदद के लिए मैदान में न आ सकें लेकिन भाजपा नेतृत्व खुलकर उनका नाम भुनाने की कोशिश में लगा है।

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह तो अटल सरकार की खुले मन से प्रशंसा करते हैं। मोदी भी उनके शासनकाल को अपने भाषणों में याद कर लेते हैं। जनसभाओं में राजनाथ तो बड़े नाटकीय अंदाज में अटल द्वारा परमाणु बम विस्फोट के अनुमोदन या कारगिल युद्ध के संचालन को पेश करते हैं। वह अपनी गहराती आवाज को बुलंद करते हुए कहते हैं, 'अटल ने कहा जाओ मेरे देश के वैज्ञानिकों, राजस्थान में जाकर जितने चाहो विस्फोट कर लो और मेरे देश का गौरव बढ़ाओ।' फिर क्या था भारत ने एक नहीं एक साथ पांच विस्फोट करके सारी दुनिया को हिला डाला।

बातों ही बातों में राजनाथ सिंह कह उठते हैं, 'शायद ही कोई महीना ऐसा बीतता हो कि मैं अटलजी को देखने नहीं जाता।' निजी आस्थाएं अपनी जगह हैं लेकिन अटलजी का चुनावी इस्तेमाल अलग। पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा सांसद लालजी टंडन उनकी हस्ताक्षरित जनता के नाम अपील ले आए थे जबकि जानकार बताते हैं कि अटलजी एक अरसे से लिखना-पढ़ना तो दूर उठ-बैठ भी नहीं पाते हैं। कुछ खास लोगों को वह कभी-कभी पहचान कर या तो पलकें झपका देते हैं या इशारे से पास बुला लेते हैं। इस बार भी भाजपा समर्थक उनका अंग-वस्त्र ले आए। जिन लोगों ने भी अटलजी को नजदीक से देखा, उन्हें भी शायद ही अटल जी कभी अंग-वस्त्र पहने दिखे हों। राजनीति क्या कुछ नहीं करवाती..।

पढ़ें : भाजपा ने अटल को कमरे में किया कैद : प्रमोद


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