विशेष ट्रेनों के नाम पर फिर हो सकता है मजाक
विशेष ट्रेनों के लिए पूरा स्टाफ भी उपलब्ध नहीं होता। चूंकि इन ट्रेनों को शॉर्ट नोटिस पर चलाया जाता है, लिहाजा अक्सर लोको पायलट, गार्ड अथवा टीटीई की उपलब्धता का संकट रहता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हमेशा की तरह इस बार भी त्यौहारों पर विशेष ट्रेने गंभीर लेटलतीफी का शिकार हो सकती हैं। एक सर्वे में यह बात उजागर हुई है।
रेल सेवाओं से जुड़े पोर्टल 'रेलयात्री डाट इन' की ओर से कराए गए सर्वे के अनुसार हर साल त्यौहारों के मौके पर चुनिंदा व्यस्त रूटों पर यात्रियों के लिए अनेक विशेष ट्रेने चलाई जाती हैं। परंतु इनका कोई विशेष फायदा नहीं होता। उलटे ये ट्रेनें स्टेशनों और प्लेटफार्मो पर भीड़ बढ़ाने का काम करती हैं।
दरअसल, इन ट्रेनों को आखिरी वक्त पर शिड्यूल में जबरदस्ती शामिल किया जाता है। जोनल अधिकारियों को इनकी समुचित प्लानिंग का समय नहीं मिलता। मंडल और स्टेशन स्तर अधिकारियों के लिए भी इन ट्रेनों को नियमित शिड्यूल में समायोजित करना मुश्किल होता है।
इसके अलावा विशेष ट्रेने कभी भी अधिकारियों की प्राथमिकता में नहीं होतीं। इनका संचालन महज खानापूरी और रिवाज के तौर पर किया जाता है। अधिकारी हमेशा नियमित ट्रेनों को ही अहमियत देते हैं। यदि एक नियमित और एक विशेष ट्रेन सिगनल पर एक साथ खड़ी हों तो नियमित ट्रेन को पहले छोड़ा जाता है। एक के बाद एक नियमित ट्रेनें गुजरती जाती हैं, और विशेष ट्रेनें पिछड़ती जाती हैं।
विशेष ट्रेनों को लेकर हर जोन पर अतिरिक्त दबाव रहता है। उनसे कुछ खास नगरों पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है। जबकि उनके पास बोगियां सीमित होती हैं। खास जगह के लिए विशेष ट्रेन चलाने की हड़बड़ी में बोगियों को एक ट्रेन से हटाकर दूसरी ट्रेन में लगाना पड़ता है। एक शहर की विशेष ट्रेन के लिए दूसरे शहर की विशेष ट्रेन को अपूरणीय विलंब का सामना करना पड़ता है।
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विशेष ट्रेनों के लिए पूरा स्टाफ भी उपलब्ध नहीं होता। चूंकि इन ट्रेनों को शॉर्ट नोटिस पर चलाया जाता है, लिहाजा अक्सर लोको पायलट, गार्ड अथवा टीटीई की उपलब्धता का संकट रहता है।
इसके अलावा स्पेशल ट्रेनों की दुर्गति की एक अन्य बड़ी वजह कामकाज की समीक्षा में इनका जिक्र न होना है। कर्मचारी इन्हें समय से चलाएं या विलंब से कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं लिखी जाएगी। दूसरी ओर नियमित ट्रेनों के संचालन की पूरी समीक्षा होती है और उसी आधार पर कर्मचारियों के कार्य का आकलन होता है। विशेष ट्रेनों को लेकर यात्रियों की शिकायतों को भी गंभीरता से नहीं लिया जाता।