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PM ने डॉ अंबेडकर को किया सलाम, कहा- उन्‍हें याद किए बिना अधूरा है संविधान

कंस्‍टीट्यूशन डे (संविधान दिवस) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान के निर्माता डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए ट्वीट किया है कि उन्‍हें याद किए बिना संविधान की बात नहीं की जा सकती है। उन्‍होंने लिखा कि भारतीय संविधान डॉक्‍टर अंबेडकर के बिना अधूरा है। उन्‍होंने अपने

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 08:10 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 10:34 AM (IST)
PM ने डॉ अंबेडकर को किया सलाम, कहा- उन्‍हें याद किए बिना अधूरा है संविधान

नई दिल्ली। कंस्टीट्यूशन डे (संविधान दिवस) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए ट्वीट किया है कि उन्हें याद किए बिना संविधान की बात नहीं की जा सकती है। उन्होंने लिखा कि भारतीय संविधान डॉक्टर अंबेडकर के बिना अधूरा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है आज का दिन उन सभी को समर्पित है जिन्होंने इसके लिए दिन और रात एक कर संविधान बनाने के लिए काम किया। उन्हें इस पर गर्व है।

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सविंधान दिवस पर उन्होंने सभी देशवासियों को मुबारकबाद दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि इस मौके पर हम सभी को अपने संविधान की मर्यादा और उसके विचारों का सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को इस तरह का बनाएं कि इसको बनाने वालों को इस पर गर्व हो सके। संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर संसद भवन समेत अन्य सरकारी इमारतों को रोशन किया गया।

शीतकालीन सत्र: वाद-विवाद और संवाद को पीएम ने बताया सदन की आत्मा

गौरतलब है कि 26 नवंबर 1949 को देश में पहली बार संविधान को लागू किया गया था। लेकिन आधिकारिक तौर पर पूरी तरह से इसको 26 जनवरी 1950 में इसको लागू किया गया। पीएम मोदी ने अब हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी की है।

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संविधान दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने सभी पार्टियों और नेताओं को डॉक्टर अंबेडकर से सीख लेने की अपील की है। शीतकालीन सत्र पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि सत्र के दौरान सभी मुद्दों पर चर्चा होगाी। साथ ही उन्होंने सरकार की तरफ से यह भी कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। इसमें देश में फैली असहिष्णुता का मुद्दा भी शामिल है।

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उन्होंने कहा कि देश की जनता को सदन से काफी उम्मीदें हैं और वह चाहती है कि काम हो। ऐसे में सभी नेताओं और दलों को उनकी भावनाओं का ध्यान में रखते हुए काम करने में सहयोग करना चाहिए। नायडू ने कहा कि जनता लड़ाई की राजनीति नहीं बल्कि सहयोग की राजनीति चाहती है।

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