जानें, वर्ष 2006 का देश की राजधानी में फैले चिकनगुनिया से क्या है लिंक?
एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पुराने वायरस ने ही दिल्ली-एनसीआर के लोगों को दर्द दिया है।
नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। राजधानी में चिकनगुनिया के बढ़ते प्रकोप और मौत की घटनाओं के चलते इसके वायरस में म्यूटेशन की संभावना जताई जा रही थी। राहत देने वाली बात यह कि चिकनगुनिया के वायरस के जीन में कोई म्यूटेशन नहीं हुआ है।
वर्ष 2006 में देशभर में चिकनगुनिया का प्रकोप फैलाने वाले पुराने वायरस ने ही दिल्ली-एनसीआर के लोगों को दर्द दिया है। एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित धर ने बताया कि वायरस का जीन सिक्वेंस पूरा कर लिया गया है। ईस्ट सेंट्रल साउथ अफ्रीकन (ईसीएसए) वायरस से ही चिकनगुनिया का संक्रमण फैला है। यह वायरस पहली बार अफ्रीका से फैला था।
कई और राज्यों में डेंगू-चिकनगुनिया का कहर, AIIMS में 80% मरीज यूपी-बिहार के
वर्ष 2006 में भी इस वायरस के चलते देशभर में चिकनगुनिया का प्रकोप फैला था। उस समय करीब 14 लाख लोग बीमार हुए थे। वायरस में कोई ऐसा बदलाव नहीं दिखा, जिससे खतरा हो सके। चिकनगुनिया होने पर तेज बुखार के साथ जोड़ों में तेज दर्द होता है और शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं।
बुखार ठीक होने पर भी बीमारी का असर कई दिनों तक रहता है, लेकिन यह जानलेवा नहीं है। एक हजार मरीजों में से एक मरीज की मौत होने की आशंका रहती है।
चिकनगुनिया वायरस का सिर्फ एक ही स्ट्रेन होता है, लेकिन जेनेटिक संरचना में फर्क होता है। ऐसे में चुकनगुनिया के वायरस के तीन जीनोटाइप होते हैं। पुराने जीनोटाइप का वायरस ही यहां लोगों को बीमार कर रहा है। गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स को चिकनगुनिया वायरस में म्यूटेशन का पता लगाने के लिए अध्ययन करने का निर्देश दिया था।
चिनकनगुनिया के 6796 से अधिक मामले
एम्स, सफदरजंग, आरएमएल व लोकनायक सहित दिल्ली के 12 अस्पतालों में चिकनगुनिया के 6796 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली के 33 सरकारी अस्पतालों, निजी अस्पतालों, डिस्पेंसरी व मोहल्ला क्लीनिक में मरीजों का इलाज चल रहा है।
ऐसे में मरीजों की संख्या 6796 से भी ज्यादा है। नगर निगम ने चिकनुनिया के 3695 और डेंगू के 1692 मामलों की पुष्टि की है, जबकि एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लोकनायक, हिंदू राव व कस्तुरबा गांधी अस्पताल में ही डेंगू के 1888 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
एक हफ्ते में चिकनगुनिया के एक हजार से अधिक मामले
दिल्ली डेंगू, चिकनगुनिया समेत मलेरिया की मार से बेहाल है। निगम रिपोर्ट की मानें तो 19 से 24 सितंबर के बीच चिकनगुनिया के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। इस दौरान चिकनगुनिया के जहां 1070 मामले सामने आए, वहीं मलेरिया के 564 तथा डेंगू के 314 केस आए।
निगम के मुताबिक इस वर्ष अब तक चिकनगुनिया के 4649 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से लगभग 3700 मरीजों में चिकनगुनिया की पुष्टि हो चुकी है। इनमें दिल्ली के 611 मामले हैं। डेंगू के 1692 केस सामने आ चुके हैं। सितंबर में अब तक डेंगू के 921 केस आ चुके हैं।
डेंगू के कुल मामलों में से 1199 दिल्ली के हैं और 493 बाहरी राज्यों के हैं। सरकारी, निजी अस्पतालों में मलेरिया के 564 मामले सामने आए हैं। इससे अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
उत्तरी नगर निगम के पदाधिकारियों ने बताया कि डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स ने रविवार को 84708 घरों व अन्य संपत्तियों की जांच की है। इनमें से 450 संपत्तियों में डेंगू मच्छर की ब्रीडिंग पाई गई है। जिनके घरों में डेंगू मच्छर के लार्वा मिले, उनका चालान काटा गया है।
डेंगू ढा रहा कहर, दो बच्चों की हुई मौत
राजधानी में चिकनगुनिया की तुलना में डेंगू का प्रकोप कम है फिर भी यह अधिक जानलेवा साबित हो रहा है। डेंगू से 16 वर्षीय लड़के है और पांच वर्षीय बच्ची की मौत हो गई है। दिल्ली में डेंगू से अब तक 29 व चिकनगुनिया से 17 लोगों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं, जबकि नगर निगम ने सिर्फ चार लोगों की मौत की पुष्टि की है। चिकनगुनिया से एक भी मौत होने से इन्कार किया है।
सफदरजंग अस्पताल में 23 सितंबर को कोटला मुबारकपुर निवासी जितेंद्र की मौत हो गई। वह 14 सितंबर से अस्पताल में भर्ती था। इस अस्पताल में डेंगू के 434 मामलों की पुष्टि हुई है। लोकनायक अस्पताल में 23 सितंबर को डेंगू से ओखला निवासी बच्ची की मौत हुई।
अस्पताल प्रशासन ने मामले की सूचना दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम को भेज दी है। इस अस्पताल में डेंगू के 608 मामले सामने आ चुके हैं। गौरतलब है कि एम्स में अब तक डेंगू से नौ लोगों की मौत हो चुकी है। सफदरजंग अस्पताल में डेंगू से मरने वालों की संख्या आठ हो गई है।
अपोलो, लोकनायक व आरएमएल अस्पताल में दो-दो मरीजों की डेंगू से मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा नगर निगम को सात अन्य मरीजों की डेंगू से मौत होने की रिपोर्ट मिली थी, जिनमें से दो की मौत का कारण दिल्ली सरकार द्वारा गठित कमेटी ने संदेहास्पद डेंगू बताया था। अन्य मरीजों की डेंगू से मौत होने से इन्कार कर दिया था। नगर निगम भी डेंगू से अधिक मौत होने की बात से इन्कार कर रहा है।