जीवनदायिनी यमुना का एक दशक से नहीं हुआ सर्वे
राजधानी की सीवर सिस्टम व जलभराव के मसले पर कैग की रिपोर्ट में दिल्ली जल बोर्ड व सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की खिंचाई की गई है। मानसून में हर साल होने वाली जलभराव के लिए इन दोनों विभागों को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जिस यमुना की सफाई के लिए जोरशोर से बात
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी की सीवर सिस्टम व जलभराव के मसले पर कैग की रिपोर्ट में दिल्ली जल बोर्ड व सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की खिंचाई की गई है। मानसून में हर साल होने वाली जलभराव के लिए इन दोनों विभागों को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जिस यमुना की सफाई के लिए जोरशोर से बात हो रही है, जीवनदायिनी उस यमुना की स्थिति जानने के लिए एक दशक से कोई सर्वे नहीं किया गया है।
सीएजी की रिपोर्ट में यमुना का सर्वे नहीं किए जाने के लिए सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग ने 2004 से यमुना का नियमित टोपोग्राफिकल (स्थलाकृति) सर्वे नहीं किया। जिससे यमुना खादर में बारिश के कारण आने वाली परिवर्तनों का पता लगाया जा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून से पहले विभागों की तैयारी पूरी नहीं होती। क्योंकि नालों की सफाई व मरम्मतीकरण के अन्य कार्य पूरे नहीं हो पाते। कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं किया गया, जिससे जलजमाव वाले जगह का पता लगाया जा सके। इसके चलते बार-बार जलजमाव होता है। वर्ष 2008, 2009, 2010 में यमुना के खतरे के निशान से ऊपर आने के बाद भी सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग सचेत नहीं हुआ।
नहीं बना है मास्टर प्लान
दिल्ली जल बोर्ड की खिंचाई करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवर और उसके जीर्णोद्धार के लिए अब भी मास्टर प्लान नहीं है। 46 फीसद इलाकों में सीवर सुविधा नहीं है, जिसमें अनधिकृत कॉलोनियां शामिल हैं। अनधिकृत कॉलोनियों का सीवर का पानी बरसाती नालों में गिरता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संबंधित विभाग ने इस तथ्य का आंकलन नहीं किया कि इसके क्या परिणाम होंगे।