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नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह के मंच से बनेंगे नए राजनीतिक समीकरण

बिहार चुनाव में बहुमत का आंकड़ा पाने और भाजपा के विजय रथ को रोकने वाले नीतीश कुमार आज पांचवी बार राज्‍य के सीएम पद की शपथ लेंगे। उनके लिए यह चुनाव काफी अहम था। अहम इसलिए क्‍योंकि इस बार जिस तरह की परेशानियां उनके अपने ही लोगों ने उनके सामने

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2015 07:34 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2015 12:16 PM (IST)
नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह के मंच से बनेंगे नए राजनीतिक समीकरण

नई दिल्ली। बिहार चुनाव में बहुमत का आंकड़ा पाने और भाजपा के विजय रथ को रोकने वाले नीतीश कुमार आज पांचवी बार राज्य के सीएम पद की शपथ लेंगे। उनके लिए यह चुनाव काफी अहम था। अहम इसलिए क्योंकि इस बार जिस तरह की परेशानियां उनके अपने ही लोगों ने उनके सामने खड़ी की इससे पहले वह कभी सामने नहीं आई थीं। फिर चाहे वह जीतन राम मांझी का बगावत करना ही क्यों न हो। लेकिन इन सभी पर उन्होंने और उनके गठबंधन ने जिस तर्ज पर विजय पताका फहराई वह काबिले तारीफ है।

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इस चुनाव के बाद देश और राज्यों की राजनीति के समीकरण भी बदल गए। भाजपा को हार का स्वाद चखा कर महागठबंधन काफी खुश है। लेकिन अब उसकी योजना इससे भी आगे की है। दरअसल पटना के गांधी मैदान में होने वाले बिहार के सीएम पद के शपथ ग्रहण समारोह में करीब एक दर्जन से ज्यादा राज्यों के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेताओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है। उनका इस शपथ ग्रहण समारोह में आना महज एक समारोह में शिरकत करना भर नहीं है बल्कि इससे कहीं आगे है।

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इस समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, असम के सीएम तरुण गोगोई, सिक्किम के पवन चामलिंग, मणिपुर के ओबिबू सिंह, हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह, अरुणाचल प्रदेश के नवम टुकी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा समेत कई अन्य भाजपा विरोधी नेता शामिल होंगे। इसमें हिस्सा लेने वाले ज्यादातर नेता कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम हैं या फिर ऐसे राज्यों से हैं जहां पर आने वाले कुछ समय में चुनाव होने वाले हैं। लिहाजा इससे नीतीश ने एक मैसेज देने की कोशिश जरूर की है कि आने वाला समय भाजपा के लिए काफी मुश्किलों भरा हो सकता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गैरमौजूदगी में केंद्र की तरफ से इस समारोह में केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू और राजीव प्रताप रूडी शिरकत करेंगे।

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इनके अतिरिक्त पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, गुलाम नबी आजाद, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला, झारखंड के पूर्व सीएम बाबू लाल मरांडी, हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, वामपंथी नेता सीताराम येचुरी, डी. राजा, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह, इनेलो नेता अभय चौटाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिाकार्जुन खड़गे, प्रफुल्ल पटेल, डीएमके नेता के. स्टालिन, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री रामदास कदम, सुभाष देसाई, प्रसिद्ध अधिवक्ता रामजेठमलानी और पूर्व सांसद एचके दुआ भी इस समारोह में शिरकत करेंगे।

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बिहार की हार के बाद अब अगला मुकाबला यूपी का चुनावी दंगल होगा जो 2017 में होना है। इसमें भाजपा को टक्कर देने के लिए यह शपथ ग्रहण समारोह एक नींव का काम करेगा। यह शपथ ग्रहण समारोह सिर्फ एक समारोह न होकर एक राजनीतिक समीकरण को तय करने वाला कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य भाजपा को उत्तर प्रदेश और पंजाब से बाहर करना है। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सभी जगहों पर परचम फहरा कर अन्य पार्टियों में जो दहशत का माहौल पैदा कर दिया था वह बिहार और दिल्ली में हार के बाद अब खत्म हो रहा है। लिहाजा इस शपथ ग्रहण समारोह के सियासी मायने ज्यादा हैं।

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