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किरण बेदी को लेकर किए गए ट्वीट से मुकरे गडकरी, बताया झूठा

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में भाजपा भारत की पहली महिला आइपीएस किरण बेदी को अपने सीएम कैंडिडेट के रूप में उतारने की बात के लिए भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली भाजपा के प्रभारी नितिन गडकरी ने अपने ट्वीट को गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि यह ट्वीट किसी फर्जी आइडी से किया गया है। इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।

By Edited By: Published: Wed, 16 Apr 2014 10:04 AM (IST)Updated: Wed, 16 Apr 2014 01:34 PM (IST)
किरण बेदी को लेकर किए गए ट्वीट से मुकरे गडकरी, बताया झूठा

दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में भाजपा की भारत की पहली महिला आइपीएस किरण बेदी को अपने सीएम कैंडिडेट के रूप में उतारने की बात के लिए भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली भाजपा के प्रभारी नितिन गडकरी ने अपने ट्वीट को गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि यह ट्वीट किसी फर्जी आइडी से किया गया है। इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।

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गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से चली आ रही इस चर्चा को खुद किरण बेदी ने भी खारिज नहीं किया था। इस खबर के जवाब में उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशी बनाने की बात पर चर्चा कई दिनों से हो रही है। आज की तारीख में यह सिर्फ एक खबर है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है। आने वाले समय में हालात के मुताबिक सब कुछ तय होगा। कुछ भी मुमकिन है।

लेकिन आज नितिन गडकरी के ट्वीट ने इस खबर को पुख्ता कर दिया। यानि अब दिल्ली में जनलोकपाल बिल के लिए हुए आंदोलन के दो नेता अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता के रूप में एक दूसरे के सामने खड़े दिखाई देंगे।

गौरतलब है कि किरण बेदी की पहचान नरेंद्र मोदी समर्थक के तौर पर है। चाहे सोशल मीडिया हो या फिर कोई न्यूज डिबेट। किरण बेदी ने हमेशा ही बीजेपी के पीएम उम्मीदवार को वोट देने की वकालत की है।

वहीं, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी डॉ. हर्षवर्धन के नेतृत्व में चुनाव लड़ी थी। फिर पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में दिल्ली के चांदनी चौक सीट से उम्मीदवार बनाया। इसके बाद से ही किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाने की चर्चा जोरों पर है। लेकिन किरण बेदी फिलहाल बीजेपी की सदस्य नहीं है, उन्हें लोकसभा चुनाव में भी टिकट देने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था।

फिलहाल दिल्ली में राष्ट्रपति शासन है। विधानसभा चुनावों में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाया था जो 49 दिन ही चला। केजरीवाल ने जनलोकपाल के मुद्दे पर सहयोग नहीं मिलने के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

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