नीति आयोग ने पीएमओ से कहा, बंद हों पर्यटन मंत्रालय के विदेशी दफ्तर
पर्यटन मंत्रालय के विदेशी दफ्तर सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने विदेशों में स्थित केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के कई दफ्तरों को बंद करने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि इन दफ्तरों में गैर-पेशेवर स्टाफ तैनात है इसलिए इन्हें चलाने का कुछ फायदा नहीं हो रहा है। पेरिस, लंदन, मिलान और टोक्यो जैसे शहरों में स्थित इन गैर जरूरी दफ्तरों को चलाने पर सरकार को भारी भरकम धनराशि खर्च करनी पड़ रही है जिसके चलते भारतीय पर्यटन के प्रचार-प्रसार के बजट का एक बड़ा हिस्सा इस पर चला जाता है। नीति आयोग ने इस संबंध प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट भेजी है।
दरअसल देश के बाहर पर्यटन मंत्रालय के 14 शहरों- न्यूयार्क, लास एंजेलिस, टोरंटो, फ्रैंकफर्ट, मिलान, एम्सटरडम, पेरिस, लंदन, दुबई, जॉहनेसबर्ग, टोक्यो, बीजिंग, सिडनी, सिंगापुर में दफ्तर हैं। इन कार्यालयों का काम विदेशी पर्यटकों को भारत घूमने के लिए आकर्षित करना तथा देश के पर्यटन का प्रचार-प्रसार करना था। हालांकि हाल के वर्षो में इसका उल्टा नतीजा देखने को मिला है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं वर्ष 2013 से 2015 के दौरान फ्रांस, जर्मनी, इटली और नीदरलैंड जैसे संपन्न यूरोपीय देशों से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बजाय तेजी से घटी है। यही वजह है कि आयोग ने इन दफ्तरों को बंद करने की सलाह दी है।
सूत्रों के मुताबिक आयोग की दलील है कि दुनियाभर में पर्यटन क्षेत्र प्रचार प्रसार के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहा है जबकि पर्यटन मंत्रालय अब भी ब्रिक एंड मोर्टार एप्रोच में भरोसा रखता है। विदेश में दफ्तर रखना न सिर्फ अनावश्यक है बल्कि यह हानिकारक भी है क्योंकि वहां गैर-पेशेवर कर्मचारी तैनात हैं। इन दफ्तरों को चलाने के लिए बिल्डिंग के किराये समेत अन्य चीजों पर भारी भरकम धनराशि खर्च करनी पड़ती है। इसलिए आयोग का मत है कि इनमें से अधिकांश दफ्तरों को बंद किया जा सकता है। इनकी जगह पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि लोग यात्रा की जानकारी जुटाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल अधिक करते हैं। अगर मंत्रालय को इनमें से कुछ दफ्तरों को बनाए रखना है तो उसे इनका कॉस्ट बेनिफिट विश्लेषण करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्रालय के जिन देशों में दफ्तर हैं उनमें से कुछ को छोड़कर बाकी देशों से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से कमी आयी है। जिन देशों के पर्यटकों की संख्या में कमी आ रही है वे सभी धनाढ्य देश हैं। इस तरह देश पूरी तरह विदेशी मुद्रा कमाने की संभावनाओं का पूरी तरह दोहन नहीं कर पा रहा है।
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