कश्मीर में हिंसा भड़काने में 9000 मस्जिदें और मदरसे चिन्हित
सूत्रों की मानें तो चिन्हित 9000 में से 156 मस्जिदें नियमित जिहादी गतिविधियों का केंद्र बनी हुई हैं।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में ढाई माह से जारी हिंसाचक्र को जारी रखने और राष्ट्रविरोधी भावनाओं को भड़काने में धर्मस्थलों की भूमिका पर कड़ा संज्ञान लेते हुए प्रशासन ने 9000 मस्जिदों व मदरसों को चिन्हित किया है। सभी मस्जिदों के मौलवियों, इमामों व मस्जिद कमेटियों के पदाधिकारियों के बारे में भी छानबीन की जा रही है।
गौरतलब है कि कश्मीर में मस्जिदों व अन्य धर्मस्थलों का आतंकी व अलगाववादी संगठनों से जुड़े तत्व इस्तेमाल कर रहे हैं। इन मस्जिदों में न सिर्फ स्थानीय युवकों को जिहादी गतिविधियों के लिए उकसाया जाता है बल्कि सुबह और शाम जिहादी तराने और भारत विरोधी नारेबाजी खूब गूंजती है।
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अधिकारिक तौर पर राज्य प्रशासन इस मामले में चुप है। सूत्रों की मानें तो चिन्हित 9000 में से 156 मस्जिदें नियमित जिहादी गतिविधियों का केंद्र बनी हुई हैं। इन मस्जिदों की गतिविधियों पर पुलिस में 19 एफआइआर भी दर्ज हैं। 17 मस्जिद कमेटियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के अलावा एक व्यक्ति को भी हिरासत में लिया है।
अनंतनाग में 2300, बारामुला में 1400, श्रीनगर में 1100, कुलगाम में 900, कुपवाड़ा में 937, पुलवामा में 700,गांदरबल में 500, शोपियां में 400 और बांडीपोर में 350 मस्जिदों व मदरसों की निगरानी की जा रही है। श्रीनगर में 100 ऐसी मस्जिदें हैं, जहां रोज राष्ट्रविरोधी नारेबाजी होती हैं।
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सूत्रों ने बताया कि मस्जिदों और मदरसों की निगरानी शुरू करने के साथ पुलिस ने सभी मस्जिदों में इमामों, मौलवियों व मस्जिद कमेटियों की पदाधिकारियों का ब्योरा जमा करना शुरू कर दिया है। कौन सा मौलवी कहां से है, वह संबंधित मस्जिद में कब से है।
मस्जिद कमेटी में शामिल लोगों का कारोबार क्या है। यह लोग किस संस्था, एनजीओ और राजनीतिक दल से जुड़े हैं। इनके बैंक खातों को खंगाला जा रहा है। राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि मस्जिदों की निगरानी से इन्कार किया है। यह जरूर कहा कि मौलवियों और इमामों के बारे में जानकारी जुटाने की प्रक्रिया जून-जुलाई में शुरू की गई थी।