क्लीनचिट के बाद भी साध्वी प्रज्ञा को जमानत नहीं
मालेगांव धमाके में जेल में बंद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत अर्जी को आज स्पेशल एनआईए कोर्ट ने खारिज कर दी है। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला आज के लिए सुरक्षित रखा था।
मुंबई, प्रेट्र। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत अर्जी विशेष अदालत ने खारिज कर दी। 2008 के मालेगांव बम धमाके के आरोप में प्रज्ञा को पिछले माह ही एनआइए ने क्लीनचिट दी थी। इसके बाद भी कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया।
जमानत के लिए साध्वी प्रज्ञा अब हाई कोर्ट जाएंगी।विशेष न्यायाधीश एसडी टेकाले ने मंगलवार को बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान पीडि़त परिवारों की आपत्ति के बाद साध्वी प्रज्ञा की जमानत याचिका खारिज कर दी। धमाके में घायल हुए एक व्यक्ति के वकील वहाब खान ने बताया कि अदालत ने एनआइए की जांच के तरीके पर भी सवाल उठाया। न्यायाधीश टेकाले ने कहा, 'एनआइए की ओर से नई रिपोर्ट जमा करने भर से यह नहीं कहा जा सकता कि परिस्थितियों में कोई बदलाव आया है।
सिर्फ इस आधार पर कि एनआइए जमानत का विरोध नहीं कर रही, जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।' न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामले में प्रज्ञा की संलिप्तता के आरोप पर विश्वास करने का पर्याप्त आधार है। इससे पहले अपनी जमानत याचिका में साध्वी ने कहा कि मामले में उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है। विस्फोट में इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल उनके नाम से थी, लेकिन उसका इस्तेमाल फरार आरोपी रामचंद्र कलसांगरा करता था।
कुछ गवाहों ने उनके खिलाफ बयान दिया था, लेकिन बाद में उन सभी ने बयान वापस ले लिया। गवाहों का कहना था कि महाराष्ट्र एटीएस ने उन पर बयान देने के लिए दबाव बनाया था। इस मामले में एनआइए ने 13 मई को दायर चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा को यह कहते हुए क्लीनचिट दे दी थी कि उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान भी जांच एजेंसी ने विरोध नहीं किया।
मारे गए थे सात लोग
उत्तरी महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल इलाके मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में सात लोग मारे गए थे। महाराष्ट्र एटीएस ने 2009 में यह कहते हुए साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ मामला दर्ज किया था कि विस्फोट में उनकी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल हुआ था।