भारत के इन राज्यों में आज भी 'देवदासी प्रथा', लड़कियों को करते हैं निर्वस्त्र
देवी मथाम्मा को 'अर्पण' की जाती हैं लड़कियां, मानवाधिकार आयोग का आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु को नोटिस...
नई दिल्ली, प्रेट्र : तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले व उसके आसपास आज भी 'देवदासी' जैसी प्रथा जारी है। इसे लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सरकारों और पुलिस प्रमुखों को नोटिस जारी किया है। आयोग ने लड़कियों व महिलाओं को जबरन मंदिरों में रखने वाली अमानवीय परंपरा को प्रतिबंधित 'देवदासी' प्रथा के समान बताया है।
आयोग ने सोमवार को कहा, 'लड़कियों और महिलाओं को 'अर्पण' के लिए देवी मथाम्मा के मंदिरों में ले जाया जाता है। 'देवदासी' जैसी प्रथा का आज भी जारी रहना समाज के लिए चिंताजनक है। इस संबंध में शिकायत की गई है और मीडिया में खबर आई है।'
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) तथा तिरुवल्लूर व चित्तूर के पुलिस अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को जारी नोटिस में संबंधित अफसरों को चार सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है, 'रीति-रिवाज के नाम पर, कथित रूप से लड़कियों को दुल्हन की तरह तैयार किया जाता है। एक बार अनुष्ठान खत्म होने पर पांच लड़के उनके वस्त्र उतारते हैं। वास्तव में वे उन्हें निर्वस्त्र कर देते हैं। उन्हें अपने परिवारों के साथ रहने नहीं दिया जाता है। शिक्षा ग्रहण करने की इजाजत नहीं होती है। उन्हें मथाम्मा मंदिर में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। एक तरह से सार्वजनिक संपत्ति समझा जाता है।'
आयोग के बयान के अनुसार, 'यह परंपरा स्पष्ट रूप से देवदासी प्रथा का एक और रूप है, जो तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में आज भी प्रचलित है।'
कड़ी कार्रवाई के हैं आदेश
आयोग का कहना है कि अगर आरोप सही हैं तो यह कृत्य बाल अधिकारों के अलावा, शिक्षा, जीवन व आत्म-सम्मान के अधिकार सहित मानवाधिकार का उल्लंघन है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2015 में सभी राज्यों को महिलाओं के मान-सम्मान के खिलाफ घृणित प्रथाओं में लिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।
क्या है देवदासी प्रथा
देवदासी प्रथा देश के कुछ हिस्सों में एक प्रतिबंधित धार्मिक परंपरा है। इसमें माता-पिता अपनी बेटी का ईश्वर या देवालय से विवाह कर देते हैं। लड़कियों का विवाह इस उम्र में कर दिया जाता है, जब उन्हें शादी का मतलब भी पता नहीं होता है। धर्म के नाम पर अक्सर देवदासियों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं।
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