अगला कदम उज्जवला प्लस: अब गरीबों को दान दीजिए रसोई गैस कनेक्शन
गरीब परिवारों को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन देने की मौजूदा स्कीम उज्जवला का अगला कदम होगा उज्जवला प्लस।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। आप सरकार की अपील पर 'गिव अप योजना' के तहत अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ कर किसी चिन्हित गरीब को देना चाहते हैं? या आप किसी दूसरे गरीब को दानार्थ एलपीजी कनेक्शन देना चाहते हैं? आपकी यह दोनो मंशा उज्जवला प्लस स्कीम के तहत पूरी हो सकती है। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले गरीब परिवारों को सरकार की तरफ से मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन देने की मौजूदा स्कीम उज्जवला का अगला कदम होगा उज्जवला प्लस। पीएम नरेंद्र मोदी अगले महीने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से इस योजना की घोषणा करेंगे जो अगले दो वर्षो में देश की तकरीबन 95 फीसद आबादी को साफ सुथरी एलपीजी से खाना पकाने की सुविधा मुहैया कराएगी।
उज्जवला योजना एनडीए सरकार की सबसे प्रभावशाली योजनाओं में शामिल हो चुकी है। मई, 2016 में शुरु की गई इस योजना के तहत 15 जुलाई, 2017 तक 2.5 करोड़ परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिया जा चुका है। सरकार ने पांच वर्षो में कुल 5 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा था लेकिन उज्जवला की वजह से 3.70 करोड़ कनेक्शन सिर्फ 14 महीनों में दिए जा चुके हैं। तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भाजपा को मिली जीत के लिए इस योजना की सफलता को एक अहम वजह माना जाता है।
ऐसे में सरकार इसे आगामी आम चुनाव से पहले उज्जवला योजना के नए चरण की शुरुआत करने जा रही है। लेकिन नए कदम में आम जनता की भागीदारी ज्यादा अहम होगी क्योंकि अब कोई भी संपन्न व्यक्ति या कारपोरेट हाउस या संगठन अपनी मर्जी से गरीब परिवारों या या कस्बे में मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने की स्कीम लागू करवा सकेगा।
सरकार की दोतरफा कोशिश
सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारी नई स्कीम को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार समझ चुकी है कि नए एलपीजी कनेक्शन देने की स्कीम राजनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी परिणाम देने वाली होती है। इसलिए इस बार दोतरफा कोशिश की जाएगी। एक तरफ से सरकारी तेल कंपनियों ने एलपीजी कनेक्शन देने, दूर दराज के इलाकों में लगातार एलपीजी सिलेंडर पहुंचते रहे इसके लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अगले तीन वर्षो में 30 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च करने की योजना बनाई है। तो दूसरी तरफ सरकार उज्जवला प्लस के तहत सभी संपन्न भारतीयों को इस स्कीम से जोड़ कर उन्हें समाज विकास व राष्ट्र निर्माण में सीधे तौर पर भी जोड़ने की कोशिश करने जा रही है। इसका नतीजा यह होगा कि अगले आम चुनाव तक बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे अहम राज्यों में भी एलपीजी पर खाना बनाने वाले परिवारों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। इन राज्यों में एलपीजी पर खाना बनाने वाले परिवारों की संख्या अभी भी राष्ट्रीय औसत 63 फीसद से कम है।सरकार की मंशा है कि मई, 2019 तक 95 फीसद परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मिल जाए। तीन वर्ष पहले जब राजग सरकार का गठन हुआ था तब देश में 52 फीसद घरों में एलपीजी पर खाना पकता था। अभी यह 73-74 फीसद तक पहुंच चुका है।