कश्मीरी पंडितों की ससम्मान घर वापसी पर सरकार अडिग
कश्मीरी पंडितों की ससम्मान घर वापसी पर केंद्र सरकार अडिग है और इसे पूरा होने तक वह चैन से नहीं बैठेगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसे राजनीतिक विवाद में नहीं घसीटने की अपील करते हुए कहा कि संसद को सर्वसम्मति से इस पर प्रस्ताव पारित करना चाहिए। इसके पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति की सांसद कविता राव ने कश्मीरी पंडितों
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कश्मीरी पंडितों की ससम्मान घर वापसी पर केंद्र सरकार अडिग है और इसे पूरा होने तक वह चैन से नहीं बैठेगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसे राजनीतिक विवाद में नहीं घसीटने की अपील करते हुए कहा कि संसद को सर्वसम्मति से इस पर प्रस्ताव पारित करना चाहिए। इसके पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति की सांसद कविता राव ने कश्मीरी पंडितों के हालात की तुलना गाजा और फिलीस्तीन के लोगों से की।
संसद में शून्यकाल के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाते हुए कविता राव ने कहा कि यदि संसद में गाजा और फिलीस्तीन में इस्त्राइली हमले पर बहस तो होती है, तो देश के भीतर कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म पर भी चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि ढाई दशक पहले कश्मीरी पंडितों पर जुल्म ढाने वाले और उन्हें घाटी छोड़कर अपने ही देश में शरणार्थी बनने पर मजबूर करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित घर वापसी की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
16वीं लोकसभा में पहली बार बोलते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान स्थायी समिति में इस पर विस्तार से बहस हो चुकी है। उनके अनुसार दो दिन तक चली चर्चा के बाद समिति ने गृहमंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी थी। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय को यह बताना चाहिए कि समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई या नहीं। वहीं बीजद के भतृहरि माहताब और भाजपा के अनुराग ठाकुर ने कश्मीरी पंडितों की कौसरनाग की यात्रा को अलगाववादियों के दवाब में स्थगित किये जाने पर चिंता जताई।
कश्मीरी पंडितों की घर वापसी पर सारी आशंकाओं को खारिज करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के भीतर शरणार्थी का जीवन जीने वाले कश्मीरी पंडितों की घर वापसी सुनिश्चित करना देश के हर नागरिक का संकल्प होना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को राजनीतिक वाद-विवाद में नहीं घसीटने की सलाह देते हुए कहा कि संसद को एक स्वर से प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
गृहमंत्री ने कहा कि अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण कौसरनाग की प्रस्तावित यात्रा को अंतिम समय में निरस्त करना पड़ा था। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस मुद्दे को उछालने की अलगाववादियों की कोशिश को प्रशासन प्रभावी तरीके से रोकने में सफल रहा। यही नहीं, औपचारिक रूप से यात्रा भले ही रोक दी गई हो, लेकिन अनौपचारिक रूप से अधिकांश लोगों ने अपनी यात्रा पूरी की।
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