गंगा की सफाई के लिए नए कानून का मसौदा तैयार
सफाई के अब तक किए उपायों के अगले साल से आने लगेंगे नतीजे....
नई दिल्ली, प्रेट्र। 'नमामि गंगे परियोजना' के तहत गंगा की सफाई के लिए केंद्र सरकार एक नए कानून के मसौदे पर विचार कर रही है। संसद में पेश करने से पहले इस पर राज्यों से भी विचार-विमर्श किया जाएगा। केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्री उमा भारती ने सोमवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी। पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून का मसौदा उनके मंत्रालय को मिल गया है और इस पर चर्चा चल रही है।
भारती ने सदन को आश्वस्त किया कि गंगा की सफाई के लिए सरकार ने जितने भी प्रयास किए हैं, उनके नतीजे 2018 से आने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई एक बड़ा काम है। यह टेम्स और राइन नदियों को साफ करने जैसा मामला नहीं है। उन नदियों में गंगा की तरह हर साल लगभग 60 करोड़ लोग नहाने नहीं जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 'गंगा अधिनियम' का मसौदा बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था। इसका मकसद 'नमामि गंगे' अभियान के कार्यान्वयन में तेजी लाना और नदी को प्रदूषण से मुक्ति दिलाना था। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस गिरिधर मालवीय को उसका अध्यक्ष बनाया गया था।
हरिद्वार में नहाने लायक है गंगा
केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री विजय गोयल ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि कुछ मानकों पर खड़ी नहीं उतरने के बावजूद गंगा नदी हरिद्वार में कुल मिलाकर स्नान योग्य है। उन्होंने कहा कि सरकार गंगा को कचरे की समस्या से निजात दिलाने के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत समग्र दृष्टिकोण अपना रही है।
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