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'आइवी इन्फ्यूजन' को कंट्रोल करने को 'डिवाइस'

आइआइटी मुंबई से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में एमटेक कर रहे जिले के एक होनहार ने पिता व साथी की मदद से एक ऐसे जीवन रक्षक डिवाइस की खोज की है, जिसके सहयोग से आइवी इन्फ्यूजन (इन वेन इन्फ्यूजन) को कंट्रोल किया जा सकता है। इनका दावा है कि यह डिवाइस अस्पतालों में प्रयोग हुई तो चिकित्सकों का अंदाजा खत्म होने के साथ ही मरीज

By Edited By: Published: Wed, 16 Jul 2014 10:48 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jul 2014 10:48 AM (IST)
'आइवी इन्फ्यूजन' को कंट्रोल करने को 'डिवाइस'

चंदौली। आइआइटी मुंबई से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में एमटेक कर रहे जिले के एक होनहार ने पिता व साथी की मदद से एक ऐसे जीवन रक्षक डिवाइस की खोज की है, जिसके सहयोग से आइवी इन्फ्यूजन (इन वेन इन्फ्यूजन) को कंट्रोल किया जा सकता है। इनका दावा है कि यह डिवाइस अस्पतालों में प्रयोग हुई तो चिकित्सकों का अंदाजा खत्म होने के साथ ही मरीज को संतुलित मात्रा में खून, ग्लूकोज, दवा या अन्य चीजें आइवी इन्फ्यूजन के जरिए चढ़ पाएंगी।

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चंदौली जिले के कुर्थिया (भावपुर, चकिया) गांव निवासी सम्राट का कहना है कि इस शोध में उनके पिता वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि डॉ. देवेंद्र प्रताप सिंह और उनके साथी छात्र बिनिल जैकब ने सहयोग किया है। तीन साल के अथक प्रयास के बाद यह डिवाइस तैयार हुई और इसका कई अस्पतालों में सफल प्रयोग भी किया गया है।

सम्राट ने 'जागरण' से हुई बातचीत में कहा कि डिवाइस का पूरा नाम 'इन्फ्रारेड बेस्ड लो कॉस्ट अलार्म एंड फ्लो स्टॉप सिस्टम फार इंटरवेनस थेरेपी' है। इससे अस्पतालों में मरीज को लगने वाली आइवी इन्फ्यूजन प्रक्रिया के दौरान शिराओं के माध्यम से ग्लूकोज, सलाइन, ब्लड या अन्य दवाएं शरीर में डाली जाती हैं। पानी या खून चढ़ाने की प्रक्रिया चल रही होती है तो नर्स, स्टाफ या मरीज के शुभचिंतक इसका बराबर निरीक्षण करते रहते हैं कि इन्फ्यूजन पूरा हुआ कि नहीं। कभी-कभी असावधानीवश रक्त का स्त्राव उल्टी नलियों में हो जाता है जिससे रक्त की हानि और निडिल के जाम होने की समस्या आ जाती है। मरीज की जान पर भी बन आती है। यह डिवाइस इस प्रक्रिया को रोकेगा बल्कि एक अलार्म के साथ स्टाफ नर्स को सचेत भी करेगा कि ड्रिप रोकने या बदलने का समय आ गया है। एक डिवाइस तैयार करने में लगभग एक हजार रुपये का खर्च आता है।

कैसे लगेगी डिवाइस :

मरीज को चढ़ने वाले आइवी इन्फ्यूजन के साथ इस डिवाइस को भी लगा दिया जाता है। मरीज को यदि तीन सौ एमएल ग्लूकोज की बोतल में से 100 एमएल चढ़ना है तो बोतल में मेंशन 100 एमएल के स्थान पर इसे लगाया जाता है। 100 एमएल होते ही डिवाइस बीप की आवाज देकर ग्लूकोज को बंद कर देगी।

मोबाइल की तरह होगी चार्ज :

डिवाइस मोबाइल की तरह चार्ज होगी। एक साल से पहले खराब होने का कोई चांस नहीं है। बोतल के साथ लगाते समय डिवाइस गिर गई तो खराब हो जाएगी फिर वहां नई डिवाइस ही लगेगी।

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