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मैंने कभी पुरस्कार ठुकराने की बात नहीं कहीः सिमोन उरांव

झारखंड के पर्यावरण संरक्षक सिमोन उरांव ने आज कहा है कि मैंने कभी पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए पुरस्कार ठुकराने की बात नहीं कही है। उनके मुताबिक, जल व पर्यावरण संरक्षण के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिलना उनके व क्षेत्र के लोगों के सामूहिक प्रयास का फल है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2016 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2016 10:58 AM (IST)
मैंने कभी पुरस्कार ठुकराने की बात नहीं कहीः सिमोन उरांव

नई दिल्ली। झारखंड के पर्यावरण संरक्षक सिमोन उरांव ने आज कहा है कि मैंने कभी पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए पुरस्कार ठुकराने की बात नहीं कही है। उनके मुताबिक, जल व पर्यावरण संरक्षण के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिलना उनके व क्षेत्र के लोगों के सामूहिक प्रयास का फल है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है।

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उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मीडिया में यह खबर आ रही है कि मैंने पद्मश्री पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया, जो सरासर गलत है। इस पुरस्कार के मिलने से मेरे परिवार से ज्यादा क्षेत्र के लोग खुश हैं।

जानिए, कौन हैं सिमोन उरांव
रांची से सटे बेड़ो निवासी सिमोन ने जल सचयन के लिए अकेले छह गांवों में तालाब खुदवाए और पेड़ लगाकर एक अनोखी मिसाल पेश की। अब इन गांवों में साल मे तीन फसलें उपजाई जा सकती हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सिमोन को पद्मश्री दिया गया है। सिमोन ने 1955 से 1970 के बीच बांध बनाने का अभियान चलाया था। सिमोन ने पांच हजार फीट नहर काटकर, 42 फीट ऊंचा बांध बनाकर 50 एकड़ मे सिंचाई की सुविधा की।

पढ़ेंः किसान बदहाल, कैसे लूं पद्मश्री : सिमोन उरांव


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