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जीवन भर नहीं भूलेगी वो भयानक रात

दिल्ली में चलती बस में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के एक वर्ष पूरे हो गए हैं। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की गूंज देश में ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में सुनाई दी थी। इस कांड में पीड़िता की दर्दनाक मौत और उसके बाद देशभर में हुए जबर्दस्त प्रदर्शन ने जहां केंद्र सरकार को कठोर कानून बन

By Edited By: Published: Sun, 15 Dec 2013 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2013 12:03 AM (IST)
जीवन भर नहीं भूलेगी वो भयानक रात

गोरखपुर [विवेक कुमार राय]। दिल्ली में चलती बस में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के एक वर्ष पूरे हो गए हैं। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की गूंज देश में ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में सुनाई दी थी। इस कांड में पीड़िता की दर्दनाक मौत और उसके बाद देशभर में हुए जबर्दस्त प्रदर्शन ने जहां केंद्र सरकार को कठोर कानून बनाने को मजबूर किया वहीं समाज को बदलावों के लिए एकजुट होने का संदेश दिया।

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घटना में घायल निर्भया के दोस्त एवं चश्मदीद गवाह अवनींद्र पांडेय आज भी मानते हैं कि निर्भया को सही अर्थो में न्याय तभी मिलेगा जब अदालत से फांसी की सजा पाए दोषियों को फंदे पर लटका दिया जाए।

गोरखपुर महानगर के तुर्कमानपुर बर्फखाना मोहल्ला निवासी एवं बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट के मंत्री भानु प्रताप पांडेय के पुत्र अवनींद्र ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि आज किसी भी समाचार पत्र या न्यूज चैनल में दुष्कर्म की खबर पढ़ते-सुनते हैं तो दिल्ली की वह भयानक रात याद आ जाती है। जब छह दरिंदों ने शराब के नशे में मेरी दोस्त के साथ छेड़छाड़ शुरू किया और मैंने उनका विरोध किया। अपनी पूरी ताकत के साथ मैंने उनका मुकाबला किया परंतु लोहे के रॉड से मेरे सिर पर उन दरिंदों ने प्रहार कर बेहोश कर दिया। निर्भया के साथ जो जघन्य कृत्य उन दरिंदों ने किया उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह घटना मेरे जीवन में एक दु:स्वप्न की तरह है। इसे भुलाया नहीं जा सकता है।

अवनींद्र कहते हैं कि महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को रोकने के लिए भले ही कड़े कानून का निर्माण कर दिया गया है, परंतु सामाजिक रूप से वैसी जागरूकता अभी नहीं आई है, जिसकी जरूरत है। महिलाओं के प्रति अपनी सोच आज बदलने की जरूरत है। बड़े शहरों में महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता आई है। आशाराम बापू, तरुण तेजपाल, जस्टिस गांगुली जैसे प्रकरण इस बात के प्रमाण हैं कि अब महिलाएं किसी भी उत्पीड़न के खिलाफ मुखर होने लगी है, परंतु आज भी गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में तमाम महिलाएं सामाजिक मान-मर्यादा व इज्जत की खातिर घटना होने के बाद भी चुप्पी साध लेती हैं।

वह कहते हैं कि महिलाओं के साथ अपराध रोकने के लिए पुलिस तंत्र को और मजबूत एवं जिम्मेदार बनाने की जरूरत है। पुलिस हेल्प लाइन नंबर 100 मिलाते ही लोगों में सुरक्षा की भावना उत्पन्न हो जानी चाहिए। निर्भया को असली श्रद्धांजलि तभी होगी जब समाज में महिलाएं अपने घर के बाहर बेखौफ होकर निकल सकें।

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