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भारत के खिलाफ यूएन पहुंचा नेपाल, अघोषित नाकेबंदी का आरोप

सीमा पर व्यापार गतिरोध को लेकर भारत के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद नेपाल ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में भी उठा दिया है। पर्वतीय राष्ट्र के उप प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने महासचिव बान की मून से मुलाकात के दौरान भारत पर नाकेबंदी का आरोप लगाया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 03:10 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 07:36 AM (IST)
भारत के खिलाफ यूएन पहुंचा नेपाल, अघोषित नाकेबंदी का आरोप

काठमांडू। सीमा पर व्यापार गतिरोध को लेकर भारत के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद नेपाल ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में भी उठा दिया है। पर्वतीय राष्ट्र के उप प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने महासचिव बान की मून से मुलाकात के दौरान भारत पर नाकेबंदी का आरोप लगाया। सूत्रों के अनुसार मून ने भी सीमा पर गतिरोध के चलते नेपाल में आवश्यक वस्तुओं की किल्लत पर चिंता जताई।

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इससे पहले शुक्रवार को नेपाली उप प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व समुदाय से अनुरोध किया था कि स्थल सीमा से घिरे विकासशील देशों के लिए समुद्र तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए वियना कार्ययोजना को प्रभावकारी तरीके से लागू किए जाने की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि ऐसे देशों को सीमावर्ती देशों में आवाजाही की बिना शर्त और निर्बाध आजादी मिलनी चाहिए। बान ने नेपाल को जरूरी चीजों की आपूर्ति में आ रही बाधा पर चिंता जताई।

सिंह की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब नेपाल नया संविधान लागू होने के बाद भारत पर अघोषिषत नाकेबंदी का आरोप लगा रहा है। इसका का कहना है कि इसके चलते उसके यहां रसोई गैस और जरूरी सामानों की भारी किल्लत हो गई है।

जांच चौकी बंद करने का आरोप गलत : भारत

इसी शुक्रवार को प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भी भारत से नाकेबंदी खत्म कर सीमा पर कारोबार सामान्य करने का अनुरोध किया था। दूसरी तरफ, भारत ने नेपाल के आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है। उसका कहना है कि सीमा पर जांच चौकी को बंद करने की बात गलत है। भारत के अनुसार, वह सामान को सिर्फ सरहद तक पहुंचा सकता है। इसके बाद भारतीय ट्रकों को सुरक्षित रूप से ले जाने की जवाबदेही नेपाल के अधिकारियों की है।

उल्लेखनीय है कि पर्वतीय देश में नया संविधान लागू होने के बाद से इसका जोरदार विरोध शुरूहो गया है। तराई इलाकों में रहने वाले मधेशी अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए स़$डकों पर उतर आए हैं। इसके चलते नेपाल का भारत के साथ व्यापार भी प्रभावित हुआ है। मधेशी आंदोलन के चलते पिछले कई दिनों से सामान से लदे भारतीय ट्रक नेपाल नहीं जा रहे हैं।


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