चीन से पहले भारत आएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड
नेपाल के प्रधानमंत्री चीन से पहले भारत आ सकते हैं। इसके संकेत खुद नेपाल के उप प्रधानमंत्री ने दिए हैं।
नई दिल्ली (पीटीआई)। नेपाल के नए प्रधानमंत्री प्रचंड अपने पहले आधिकारिक दौरे पर चीन नहीं जाएंगे। उनके भारत आने की संभावना है। नेपाल के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बिमलेंद्र निधि के दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचने के बीच यह संकेत मिला है। नेपाली विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस यात्रा का मकसद प्रचंड की यात्रा का आधार तैयार करना है।
नेपाल के प्रधानमंत्री अपने पहले विदेश दौरे पर आमतौर पर भारत आते रहे हैं। चीन समर्थक प्रचंड ने अपने पहले कार्यकाल में इस परंपरा को तोड़ दिया था। 2008 में नई दिल्ली से पहले उन्होंने बीजिंग की यात्रा की थी। उन्हें दुबारा इस महीने की शुरुआत में देश का प्रधानमंत्री चुना गया था। उनके पूर्ववर्ती केपी शर्मा ओली भी चीन के समर्थक माने जाते थे, लेकिन वह अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर भारत ही आए थे। उनकी यात्रा ऐसे वक्त में हुई थी जब नए संविधान में उपेक्षा से नाराज मधेशियों का नेपाल में आंदोलन चल रहा था।
मधेसियों का भारतीयों के साथ रोटी-बेटी का संबंध है।सूत्रों ने बताया कि इस बार अपने पुराने दस्तूर के उलट प्रचंड पहले भारत की यात्रा करेंगे। उनके मुताबिक निधि की यात्रा का मकसद दोनों देशों के संबंधों को सामान्य और बेहतर बनाना भी है। वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नेपाल यात्रा और उनकी नेपाली समकक्ष विद्या देवी भंडारी की प्रस्तावित भारत यात्रा के बारे में भी चर्चा करेंगे।
दूसरी ओर, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है कि दोनों देशों के बीच सदियों से अनूठा संबंध है।गौरतलब है कि शपथ लेने के बाद प्रचंड ने भारत और चीन के साथ संबंधों में संतुलन साधने की बात कही थी। ओली की विदाई के बाद से चीन और नेपाल के संबंधों को लेकर जताई जा रही चिंता के बीच उन्होंने मंगलवार को उप प्रधानमंत्री कृष्ण बहादुर महारा को बीजिंग भेजा था।