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नेताजी का खजाना लूटने वाले को नेहरू ने किया था सम्मानित!

हाल ही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कई अहम फाइलें सार्वजनिक होने के बाद लेखक अनुज धर के उस दावे पर मुहर लग गई है कि जिसमें उन्होंने दावा किया था कि नेताजी के खजाने को लूट लिया गया था।

By Atul GuptaEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 07:02 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 07:51 AM (IST)
नेताजी का खजाना लूटने वाले को नेहरू ने किया था सम्मानित!

नई दिल्ली। हाल ही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कई अहम फाइलें सार्वजनिक होने के बाद लेखक अनुज धर के उस दावे पर मुहर लग गई है कि जिसमें उन्होंने दावा किया था कि नेताजी के खजाने को लूट लिया गया था।

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पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा नेताजी से जुड़े कुछ अहम दस्तावेजों में एक अहम फाइल अनुज धर के दावे को सही ठहराती है जिसमें कहा गया है कि नेताजी और उनके सहयोगी रास बिहारी बोस द्वारा बनाई गई भारतीय राष्ट्रीय सेना के खजाने को लूटा गया था।फाइल में साल 1951 से 1955 के दौरान भारत और टोक्यो के बीच बातचीत का ब्यौरा दिया गया है जिससे साफ होता है कि नेहरू सरकार नेताजी के खजाने की इस लूट के बारे में जानती थी लेकिन लगता है कि वो इस मामले को दूसरी तरह देखना चाहती थी।

नेशनल आर्काइव में मौजूद उच्च स्तरीय गोपनीय फाइलों के मुताबिक इस मामले में सरकारी अधिकारियों ने नेताजी के दो सहकर्मियों को संदिग्ध पाया था। लेकिन नेहरू सरकार ने इनसे इस मामले में पूछताछ करने की बजाय इन दोनों में से एक कर्मी को अपनी सरकार में पांच सरकार साल के लिए पब्लिसिटी एडवाइजर के तौर पर नियुक्त कर दिया।

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अनुमान लगाया गया है कि नेताजी के इस खजाने की कीमत उस वक्त करीब 7 लाख डॉलर थी। लेखक अनुज धर ने साल 2012 में अपनी किताब इंडियाज बिगेस्ट कवर अप के जरिए इस खजाना घोटाले का खुलासा किया था।

फाइल के मुताबिक 21 मई 1951 को टोक्यो मिशन प्रमुख के.के. चेत्तूर ने कॉमनवेल्थ सीक्रेट सैकेट्री बी एन चक्रबर्ती को पत्र लिखकर बोस के दो प्रमुख सहयोगी, मंत्री, एस.ए अय्यर और टोक्यो में भारतीय स्वतंत्रता लीग के प्रमुख मंगा राममूर्ति के बारे में संदेह व्यक्त किया था।"जैसा कि आप किसी संदेह के बारे में नहीं जानते हैं, राममूर्ति के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता लीग के पैसों के साथ-साथ स्वर्गीय सुभाष चंद्र बोस की संपत्ति सहित हीरे, आभूषण, सोने और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की हेराफेरी के गंभीर आरोप हैं, सही है अथवा गलत है, लेकिन अय्यर का नाम भी इन आरोपों में सामने आ रहा है।"

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के के चेत्तूर ने 20 अक्टूबर 1951 को लिखा था कि जापान की सरकार ने मिशन को गोपनीय सूचना दी थी कि बोस उनके साथ थे, "सोने के गहने और कीमती पत्थर पर्याप्त मात्रा में थे, लेकिन बदकिस्मती से फ्लाइट में केवल दो सूटकेस ले जाने की अनुमति दी गई थी।"


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