भारत ने सुरक्षा परिषद को अप्रासंगिक बताया
भारत ने कहा है कि बिना सुधार वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अप्रासंगिक हो गई है। अगर इस सबसे शक्तिशाली संस्था में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं हुआ तो खुद संयुक्त राष्ट्र की साख दांव पर होगी।
न्यूयॉर्क। भारत ने कहा है कि बिना सुधार वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अप्रासंगिक हो गई है। अगर इस सबसे शक्तिशाली संस्था में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं हुआ तो खुद संयुक्त राष्ट्र की साख दांव पर होगी।
लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बुधवार को कहा, 'निसंदेह सुरक्षा परिषद वैश्विक शासन की सबसे अहम संस्था है। लेकिन अगर इसकी वैधता संदेह के घेरे में आती है तो यह संयुक्त राष्ट्र की साख का भी सवाल होगा। खुद वैश्विक शासन को लेकर भी यही धारणा बनेगी।' महाजन यहां चौथे विश्व संसदीय स्पीकर सम्मेलन की प्रारंभिक समिति की दूसरी बैठक में 'विश्व शांति और लोकतंत्र के लिए मुख्य चुनौतियां' विषयक सत्र को संबोधित कर रही थीं।
महाजन ने पूछा कि सुरक्षा परिषद में अफ्रीका से कितने स्थाई सदस्य हैं? परिषद की स्थाई सदस्यता को ज्यादा औचित्यपूर्ण बनाने के लिए क्या किया गया? उन्होंने कहा, 'सुरक्षा परिषद की कार्य पद्वति या आचार संहिता में सुधार करना वीटो के इस्तेमाल के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या ये सुरक्षा परिषद की संरचना में सुधार के विकल्प हो सकते हैं? क्या कार्यपद्वति में सुधार से इसकी संरचना को वैधता प्रदान की जा सकती है?'
उन्होंने सवाल किया, 'क्या अभी भी यह संस्था अंतरराष्ट्रीय समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रही है? जब 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी तब इसके महज 51 सदस्य देश थे। यह संख्या अब 193 पहुंच चुकी है। उस समय इसमें केवल तीन अफ्रीकी देश थे जबकि आज इनकी संख्या 54 हो गई है।'