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उमा भारती बोलीं, जल संरक्षण के परंपरागत तरीकों पर ध्यान देने की जरुरत

“जल जीवन है। पानी के बिना अस्तित्व संभव नहीं है। लंबे समय से हमलोग इस बुनियादी पहलू की उपेक्षा करते रहे हैं पर मानव जाति को अब वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2015 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2015 01:29 PM (IST)
उमा भारती बोलीं, जल संरक्षण के परंपरागत तरीकों पर ध्यान देने की जरुरत

नई दिल्ली। “जल जीवन है। पानी के बिना अस्तित्व संभव नहीं है। लंबे समय से हमलोग इस बुनियादी पहलू की उपेक्षा करते रहे हैं पर मानव जाति को अब वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। हमारे इतिहास और परंपरा में असंख्य उदाहरण हैं जिससे जल संरक्षण की परंपरागत विधियों की सार्थकता का पता चलता है और हम इनके मुकाबले आधुनिक औजारों को तैयार कर सबसे प्रभावी और वैज्ञानिक तौर पर जाने-माने संरक्षण उपाय करें तो अच्छा काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे उच्च प्राथमिकता दी है। मेरा मंत्रालय और सरकार इस विषय पर प्रतिबद्ध हैं।” यह विचार केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने वर्ल्ड एक्वा कांग्रेस के उद्धाटन के मौके पर व्यक्त किये ।

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नवें वर्ल्ड एक्वा कांग्रेस का उद्घाटन के मौके पर उन्होंने कहा कि - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 के मानसून की तैयारी पहले ही शुरू करने का आईडिया दिया है ताकि चेक डैम, तालाब और टंकियों की पानी रखने की क्षमता में अच्छी-खासी वृद्धि हो जाए तथा भंडारण को बेहतर किया जाए और संरचनाओं को नई ताजगी दी जाए और इसके लिए वर्षों पुरानी परंपरा का पालन किया जाए।

केंद्रीय मंत्री ने जल के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “जल जीवन है। पानी के बिना अस्तित्व संभव नहीं है। लंबे समय से हमलोग इस बुनियादी पहलू की उपेक्षा करते रहे हैं पर मानव जाति को अब वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। हमारे इतिहास और परंपरा में असंख्य उदाहरण हैं जिससे जल संरक्षण की परंपरागत विधियों की सार्थकता का पता चलता है और हम इनके मुकाबले आधुनिक औजारों को तैयार कर सबसे प्रभावी और वैज्ञानिक तौर पर जाने-माने संरक्षण उपाय करें तो अच्छा काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे उच्च प्राथमिकता दी है। मेरा मंत्रालय और सरकार इस विषय पर प्रतिबद्ध हैं।”

भारत ने 2015-16 को जल संरक्षण वर्ष घोषित किया है। इससे पता चलता है कि इस विषय पर सरकार कितना ध्यान दे रही है। इस साल के वर्ल्ड एक्वा कांग्रेस का आधार और प्रेरणा यही है। इस वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन एक्वा फाउंडेशन ने किया था ताकि सभी स्टेकधारकों (नीति निर्माताओं, अनुसंधानकर्ताओं, शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, कॉरपोरेट) को एक मंच पर लाया जा सके। इस कांफ्रेंस का लक्ष्य संरक्षण के भिन्न तकनीक को मिलाना, नीति के मुद्दे पर वार्ता शुरू करना और कांफ्रेंस के परिणाम के रूप में एक नीति नोट तैयार करना है।

एक्वा फाउंडेशन ने पूर्व में कतिपय नीतियां शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई है। इनमें ब्यूरो ऑफ वाटर एफिसियंसी और एक्विफर मैपिंग प्रोग्राम शामिल है।

इस मौके पर उद्घाटन भाषण जाने-माने गांधीवादी, पर्यावरणविद और जल संरक्षण के देसी तरीकों के जाने- माने लेखक अनुपम मिश्रा ने दिया। श्री मिश्रने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि - “25वीं सदी में भी राजस्थान जल संरक्षण के देसी तरीकों का उपयोग करना जारी रखेगा। अनुभव से उन्हें जो जानकारी मिली है वह पवित्र है। गैर देसी टेक्नालॉजी की शुरुआत करने की किसी भी कोशिश का नाकाम होना तय है।

एक्वा फाउंडेशन के उत्कृष्टता पुरस्कार इस दिन की अन्य खासियतों में थे। ये पुरस्कार जल, पर्यावरण और मानवता के क्षेत्र में नवीनता और योगदान रखने के लिए दिए जाते हैं। सुश्री उमा भारती ने भिन्न श्रेणी में ग्यारह पुरस्कार दिए।

इस मौके पर जिन लोगों को सम्मानित किया गया उनमें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार श्री अनुपम मिश्रा, परंपरागत ज्ञान के उपयोग से प्राकृतिक संसाधन प्रबंध ग्राम विकास नवयुवक मंडल लपोरिया , स्थायी कृषि को बढ़ावा देना महिन्द्रा एंड महिन्द्रा (एएफएस) , स्थायित्व के उद्देश्य के प्रति उल्लेखनीय योगदान मेकॉन लिमिटेड ,ताजे पानी के संसाधन की गुणवत्ता और आपूर्ति की सुरक्षा स्थायित्व के उद्देश्य के लिए उल्लेखनीय योगदान सामाजिक क्षेत्र ग्रीन हाउसिंग बोउगेनविल्ला हरमिटेज प्राइवेट लिमिटेड पेशेवर उत्कृष्टता (व्यैक्तिक) डॉ. गोपाल धवन पेशेवर उत्कृष्टता (व्यैक्तिक) ई. केबी विश्वास एंजिल्स ऑफ ह्युमैनिटी का संपूर्ण विकास सरदार पटेल विद्यानिकेतन एंजिल्स ऑफ ह्युमैनिटी का संपूर्ण विकास रेयान इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर 40, गुड़गांव शामिल हैं ।

इस कांफ्रेंस के बारे में बताते हुए मशहूर जियोफिजिसिस्ट और एक्वा फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. संजय राणा ने कहा, “लंबे समय से परंपरागत समझ को आधुनिक विज्ञान के उलटे रूप में देखा गया गया है। संस्थान इस मान्यता को बदलने और परंपरागत संरक्षण के उपयोगी तत्वों के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान व तकनालाजी

को मिलाकर एक व्यापक समाधान तैयार के लिए काम कर रहा है जिससे मौजूदा समय की समस्याओं और भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके।”

अपने विचार साझा करते हुए IX वर्ल्ड एक्वा कांग्रेस 2015 की आयोजन सचिव सुश्री प्रज्ञा शर्मा ने कहा, “निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के लोग और संस्थान दोनों ठोस कार्रवाई की आवश्यकता को समझते हैं और उसे महत्त्तव देते हैं। प्रक्रिया में शामिल होने और ठोस व्यवहार्य विकल्पों को प्रेरित करने और पर्यावरण की मौजूदा चुनौतियों से हर तरह से निपटने के लिए हमलोगों को पूरे बोर्ड से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।”


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