नाईक यूपी, तो केसरीनाथ प. बंगाल के राज्यपाल
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के लिए नए राज्यपालों की नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाईक को उत्तर प्रदेश, दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता ओपी कोहली को गुजरात, जनसंघ के संस्थापक नेता बलरामजी दास टंडन को छत्तीसगढ़, उप्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी को पश्चिम बंगाल और ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के सह-संयोजक पद्मनाभ आचार्य को नगालैंड का राज्यपाल बनाया गया है। आचार्य भाजपा के पूर्वोत्तर राज्यों में कार्यकारी समूह के सदस्य भी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के लिए नए राज्यपालों की नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाईक को उत्तर प्रदेश, दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता ओपी कोहली को गुजरात, जनसंघ के संस्थापक नेता बलरामजी दास टंडन को छत्तीसगढ़, उप्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी को पश्चिम बंगाल और ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के सह-संयोजक पद्मनाभ आचार्य को नगालैंड का राज्यपाल बनाया गया है। आचार्य भाजपा के पूर्वोत्तर राज्यों में कार्यकारी समूह के सदस्य भी हैं। उन्हें त्रिपुरा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। जल्द ही कुछ अन्य राज्यों में भी नए राज्यपालों की नियुक्ति हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, पहले दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया जाना था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस संबंध में बात भी कर ली थी, लेकिन अंतिम समय में मल्होत्रा ने पश्चिम बंगाल जाने से इन्कार कर दिया। वह दिल्ली के करीब रहना चाहते थे। इसके लिए पंजाब उनकी पहली पसंद है। इसी साल पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। माना जा रहा है कि इसके बाद मल्होत्रा को पंजाब का राज्यपाल बना दिया जाएगा। उनके अलावा कैलाश जोशी, लालजी टंडन और एल. गणेशन को भी जल्द राजभवन भेजा जा सकता है। मुंबई से पांच बार सांसद रहे नाईक वाजपेयी सरकार में पेट्रोलियम मंत्री थे। उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया था।
नाइक ने रविवार को ही साफ कर दिया था कि पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाने को कहा है। इसके लिए वह तैयार हैं। वहीं, 87 वर्षीय बलरामजी दास टंडन 1951 में जनसंघ के संस्थापक नेताओं में रहे हैं। राज्यपालों में ओपी कोहली और पद्मनाभ आचार्य पहले से चर्चा में नहीं रहे हैं। ये दोनों भी आरएसएस के काफी करीबी बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि आरएसएस की संस्तुति के बाद अंतिम समय में सरकार ने नए राज्यपालों की सूची में इन दोनों को भी शामिल कर लिया।
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