SC के आदेश पर नोएडा में सुपरटेक के ट्वीन टावर की दूरी नापेगा एनबीसीसी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब नोएडा के सेक्टर 93 में एमाराल्ड कोर्ट परिसर में खड़े सुपरटेक के ट्वीन टावरों के बीच की दूरी नापी जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोएडा के सेक्टर 93 में एमाराल्ड कोर्ट परिसर में खड़े सुपरटेक के ट्वीन टावरों के बीच की दूरी नापी जाएगी। नेशनल बिल्डिंग कांस्ट्रेक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) देखेगा कि दोनों टावरों के बीच की दूरी नियमों के मुताबिक है कि नहीं। जांच करने के बाद एनबीसीसी सुप्रीमकोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगा। ये निर्देश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली सुपरटेक व अन्य पक्षकारों की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये।
कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा है कि वह एमाराल्ड कोर्ट स्थित टावर 16 व 17 के बीच की दूरी जांच कर कोर्ट को अपनी रिपोर्ट दे। कोर्ट ने एनबीसीसी से चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में 6 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। इसके अलावा कोर्ट ने अपना पैसा वापस मांग रहे दो फ्लैट मालिकों की अर्जी पर सुपरटैक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस अर्जी पर 9 सितंबर को सुनवाई होगी।
हालांकि कोर्ट ने पैसा वापस मांगने वालों का विरोध कर रहे सुपरटैक से कहा कि जो लोग पैसा वापस चाहते हैं और जाना चाहते हैं तो उन्हें पैसा मिलना चाहिये। खरीदार मुकदमेंबाजी का खामियाजा क्यों भुगतें। उधर दूसरी ओर 40 फ्लैट मालिकों ने फ्लैट के बदले फ्लैट मांगा है। उनकी अर्जी पर कोर्ट बाद में सुनवाई करेगा।बात ये है कि दोनों टावरों के बीच की दूरी को लेकर विवाद है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों टावरों के बीच की दूरी को नियम मुताबिक नहीं माना था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने अनुमति से ज्यादा मंजिलें बना लेने और फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) का उल्लंघन करने को भी गलत ठहराया था और दोनों टावरों के अतिरिक्त फ्लोर ढहाने का आदेश दिया था। साथ ही फ्लैट मालिकों को ब्याज सहित पैसा लौटाने को कहा था। नोएडा अथारिटी के अधिकारियों पर भी हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणियां थीं। इस फैसले को सुपरटैक और नोएडा अथारिटी ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीमकोर्ट ने फ्लैट गिराने पर फिलहाल रोक लगा रखी है। पिछली सुनवाई पर सुप्रीमकोर्ट ने सुपरटेक को पांच करोड़ रुपये सुप्रीमकोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया था। पिछली सुनवाई पर सुपरटैक की ओर से दलील दी गई थी कि टावरों के बीच की दूरी नियमों के मुताबिक है। उसका कहना था कि टावरों की फेसिंग पीछे की ओर है और नियमों मुताबिक पीछे की फेसिंग वाले टावरों के बीच नौ मीटर की दूरी होनी चाहिये जो कि है। सामने की फेसिंग वाले टावरों के बीच की दूरी 16 मीटर रखने का नियम है।
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उस समय न्यायमित्र पी नरसिम्हा ने कोर्ट को सलाह दी थी कि दोनों टावरों की दूरी की किसी स्वतंत्र एजेंसी जैसे एनबीसीसी आदि से जांच कराई जानी चाहिये। आज कोर्ट ने सुझाव स्वीकार करते हुए एनबीसीसी को जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।