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गोली भी मारी और इंजेक्शन भी लगाया

कांग्रेस नेता डॉ. शिव द्विवेदी ने बताया कि रैली समाप्त होने के बाद पार्टी के नेता गाड़ियों के काफिले के साथ लौट रहे थे। मेरे आगे दो गाड़ियां और चल रही थीं। करीब पांच बजे अचानक जोर का धमाका हुआ। चारों ओर धूल और धुआं था। जब तक हम लोग कुछ समझ पाते, गोलियों की बौछार होने लगी। उन्होंने कह

By Edited By: Published: Sun, 26 May 2013 07:11 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2013 07:28 PM (IST)
गोली भी मारी और इंजेक्शन भी लगाया

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। कांग्रेस नेता डॉ. शिव द्विवेदी ने बताया कि रैली समाप्त होने के बाद पार्टी के नेता गाड़ियों के काफिले के साथ लौट रहे थे। मेरे आगे दो गाड़ियां और चल रही थीं। करीब पांच बजे अचानक जोर का धमाका हुआ। चारों ओर धूल और धुआं था। जब तक हम लोग कुछ समझ पाते, गोलियों की बौछार होने लगी।

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उन्होंने कहा कि मानो ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेना हमला कर रही हो। चारों ओर से गोलियां बरस रही थीं। मैं जैसे-तैसे गाड़ी से बाहर निकला। चूंकि मुझे गोली लग चुकी थी, इसलिए मैं गाड़ी की आड़ में सड़क पर लेट गया। मेरे बगल में ही महेंद्र कर्मा और कुछ और लोग भी लेटे हुए थे। इनमें कुछ घायल भी थे। थोड़ी ही देर में करीब 70-80 नक्सलियों का एक दस्ता गाड़ियों के पास आ गया। वे यह देख रहे थे कि जमीन पड़े लोगों में कौन जिंदा है और कौन नहीं? जिंदा लोगों को जमीन पर पेट के बल लेटने और सिर न उठाने को कहा जा रहा था। सिर उठाने वालों को गोली मारी जा रही थी। वे माओवाद जिंदाबाद के नारे लगाने के साथ गालियां भी बक रहे थे। कुछ की भाषा हमें नहीं समझ आ रही थी। शायद वे तेलुगु बोल रहे थे। भाषा की इसी नासमझी के चलते ही मैं ने सिर उठाया, तभी मुझे गोली मार दी गई।

बचने की कोई संभावना न देख हम बोले, सरेंडर कर रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि हमारे साथ जंगल में चलो। वे हमें अंदर ले गए। वे जान गए थे कि हमारे साथ महेंद्र कर्मा भी हैं, फिर भी उन्होंने एक बार फिर पूछा कि कर्मा कौन है? कर्मा जी ने बिना किसी हिचकिचाहट कहा, मैं हूं कर्मा। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी सबको छोड़ दो, लेकिन उन्होंने हम सबको लेट जाने को कहा और फिर कर्मा जी को गोलियों से छलनी कर दिया। मुझे लगता है कि उन्हें 70-80 गोलियां मारी गई होंगी। हम लोगों को लगा कि अब हमारी भी बारी है। मैंने कहा कि आखिर हमें क्यों मार रहे हो? मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं और डॉक्टर भी हूं। मैंने बस्तर में भी काम किया है। इस पर उन्होंने कहा कि यह पहले बताना चाहिए था। मैंने पानी मांगा तो हिमालयन वाटर की बोतल से मुझे थोड़ा पानी दिया। मैंने गौर किया कि इस ब्रांड का पानी तो आमतौर पर हवाई अड्डों पर काफी महंगी दर पर मिलता है।

हमले में शामिल ज्यादातर नक्सली 20-25 साल के बीच के थे। उनमें से कुछ लड़कियां भी थीं। उनके कमांडर ने मेरे पैर से खून बहता देखकर एक नक्सली लड़की से कहा कि डॉक्टर साहब को इंजेक्शन लगा दो। उसने मुझे दो इंजेक्शन लगाए। कुछ देर बाद उन्होंने हम लोगों को जाने दिया।

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