नेशनल हेराल्ड पर सोनिया गांधी का नियंत्रण नहीं
नेशनल हेराल्ड संबंधी मामले में बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि सोनिया पर नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की अरबों रुपये की संपत्तियों को हड़पने के लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नेशनल हेराल्ड संबंधी मामले में बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि सोनिया पर नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की अरबों रुपये की संपत्तियों को हड़पने के लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। न्यायमूर्ति सुनील गौड़ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि निचली अदालत ने सोनिया व अन्य के खिलाफ गलत तरीके से बतौर आरोपी समन जारी किया है। उनके खिलाफ किसी भी तरह की हेराफेरी व अमानत में खयानत के साक्ष्य नहीं हैं।
सिब्बल ने कहा कि समाचार पत्र भारत छोड़ो आंदोलन के समय से चल रहा है। इसकी वित्तीय हालत खराब होने पर कांग्रेस ने अनुदान दिया था। मामले में आरोपी बनाई गई संस्था यंग इंडिया चेरिटबल का काम करती है और उसी के जरिए फंड दिया गया। सोनिया गांधी व अन्य की मामले में कोई भूमिका नहीं है। उनका न तो कांग्रेस के फंड पर नियंत्रण है और न ही नेशनल हेराल्ड की संपत्ति पर। उन्होंने कहा कि कंपनी अधिनियम के तहत यंग इंडिया द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का किया गया अधिग्रहण अवैध नहीं है।
मामले में याचिकाकर्ता को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा कि वे क्या चाहते हैं और उनकी शिकायत का आधार क्या है। अदालत ने उन्हें इस संबंध में शिकायत सहित सभी दस्तावेज मामले की अगली तारीख 24 मार्च तक अदालत में पेश करने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि गत 13 जनवरी को न्यायमूर्ति वीपी वैश ने रोस्टर बदलने के आधार पर मामले में सुनवाई करने से इन्कार कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 26 जून को इस मामले में निचली अदालत ने सोनिया गांधी व राहुल गांधी के अलावा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, महासचिव, ऑस्कर फर्नाडीस, सुमन दुबे व एक अन्य को समन जारी किए थे। निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। पेश मामले में सोनिया गांधी व अन्य ने खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि उक्त नेताओं ने यंग इंडिया नाम से कंपनी बनाई। जिसने नेशनल हेराल्ड की पब्लिशर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया है। इसके बाद एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को पचास लाख रुपये देकर यंग इंडिया ने 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का अधिकार ले लिया।