दयनीय हालत में राष्ट्रीय बॉडी बिल्डर, अखबार बेच कर रहा गुजारा
प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर बॉडी बिल्डर प्रतियोगिता में सिक्का जमा चुके झारखंड के जामताड़ा जिले के मिहिजाम निवासी शंभू बाउरी तमाम आश्वासनों के बावजूद अखबार बेचने के पुश्तैनी धंधे में लगा है।
जामताड़ा । प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर बॉडी बिल्डर प्रतियोगिता में सिक्का जमा चुके झारखंड के जामताड़ा जिले के मिहिजाम निवासी शंभू बाउरी तमाम आश्वासनों के बावजूद अखबार बेचने के पुश्तैनी धंधे में लगा है। उसका मिट्टी का घर भी उसके मेडल व प्रशस्ति पत्र संभालते हुए ठगा सा महसूस करता है।
शंभू मालपाड़ा के अखबार हॉकर गुरुपद बाउरी का पुत्र है। आर्थिक तंगी के कारण उसने खेल के जरिये अपनी दुनिया संवारने का प्रयास किया। 90 के दशक से उसने माड़-भात खाकर बॉडी बिल्डर बनने की मेहनत शुरू की। उसकी कोशिशें रंग लाईं और इंफाल में 2001 में हुई थर्ड ईस्टर्न इंडिया बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में उसे पहली सफलता मिली। इसके बाद झारखंड स्टेट, इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन, टाटा स्टील कंपनी सोशल वेलफेयर, पश्चिम बंगाल आदि स्थानों पर हुई प्रतियोगिता में भी उसने सफलता हासिल की। उससे प्रभावित होकर पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन व टाटा स्टील कंपनी के चेयरमैन रतन टाटा ने सम्मानित करने के साथ नौकरी देने का आश्वासन दिया।
चित्तरंजन रेल कारखाना में भी उपलब्धि के बल पर उसने नौकरी पाने का प्रयास किया, लेकिन सब छलावा साबित हुआ। हारकर वह अखबार बांटने के अपने पुश्तैनी धंधे में आ लगा। अखबार बेचने के बाद वह रूपनारायणपुर स्थित एक जिम में बतौर प्रशिक्षक काम करता है। शंभू का कहना है कि मां को मुझसे बहुत आशा थी। लगता था कि परिवार के दिन बहुरेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब तो सरकारी नौकरी की उम्र भी खत्म हो गई है।